सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने शुक्रवार (29 अप्रैल 2022) को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मान में एक स्वागत समारोह आयोजित किया। इस कार्यक्रम में सीजेआई एन वी रमना, जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस ए एम खानविलकर, कानून मंत्री, किरेन रिजिजू, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित बार के सदस्य उपस्थित हुए। इस दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सभी न्यायाधीशों से पेंडिंग मामलों में कटौती करने और साथ ही न्यायालयों में पेंडिंग मामले कम करने के तरीके खोजने का आग्रह किया।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों, खासतौर पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्याय देने के दौरान आने वाली बाधाओं और न्यायपालिका के सभी स्तरों पर मामलों की बढ़ती पेंडेंसी के बारे में चर्चा की। नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के आंकड़ों का हवाला देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में जजों के 24 हजार पद हैं जिनमें से 5000 पद खाली हैं।
ट्रायल कोर्ट में 4 करोड़ मामले पेंडिंग: इसके साथ ही के के वेणुगोपाल ने बताया कि हाई कोर्ट में 42 लाख सिविल केस और 16 लाख क्रिमिनल केस लंबित हैं। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट में 24,000 जज हैं और इसी तरह हाई कोर्ट में लगभग 650 जज हैं और ट्रायल कोर्ट में 4 करोड़ मामले पेंडिंग हैं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में 30 साल और हाई कोर्ट में लगभग 10-15 साल से मामले पेंडिंग होने की वजह से न्यायपालिका में जनता के लिए विश्वास करना मुश्किल होगा।
मिलकर समाधान खोजना होगा: इस बारे में बात करते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा, “अब समय आ गया है कि वकील, जज और राज्य मिलकर देखें कि क्या संभव है। 75 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हिरासत में हैं और जिनमें से अधिकांश गरीब हैं, और जिनके पास साधन नहीं है। कुछ तो करना होगा।” उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों को पेंडेंसी के मुद्दे का समाधान खोजना होगा जो कि सही समय पर न्याय देने पर असर डालता है।
अटॉर्नी जनरल के उठाए गए मुद्दों से सहमति जताते हुए सीजेआई रमन्ना ने कहा कि मैं एजी द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं का पूरी तरह से समर्थन करता हूं। कल मैं बताऊंगा कि ये मुद्दे न्यायपालिका में क्यों पेंडिंग हैं।