माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या का मामला बहरीन की संसद में भी उठाया गया है। बहरीन के राजनेताओं ने इसे हिंदू अतिवाद बताया है और भारत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। बहरीन के राजनेताओं की सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हो रही हैं, जिनमें वह अतीक-अशरफ के समर्थन में बोलते नजर आ रहे हैं।

बहरीन के एक सांसद जमीन मुल्ला ने कहा, “पूर्व विधायक अतीक अहमद ने एक महीने पहले शिकायत की थी कि पुलिस से उनकी जान को खतरा है और हमने पुलिस की मौजूदगी में हुई हत्या को देखा। हमने देखा है कि जब मुसलमानों की बात आती है तो ऐसे परिदृश्य खुद को दोहराते हैं।”

उन्होंने बिना किसी डेटा और सुबूत पेश किए कहा, “कई वीडियो मुसलमानों की क्रूर हत्याओं को दिखाते हैं। पुलिस इन बर्बर अपराधियों का बचाव कर रही है जो कमजोर लोगों पर हमला करते हैं और मस्जिदों को ध्वस्त करते हैं।” उन्होंने आग्रह करते हुए कहा, “मैं एक कदम और आगे जाना चाहूंगा और सभी अरब संसदों से अनुरोध करूंगा कि जो हो रहा है उसकी निंदा करें। मैं भारत में मुसलमानों की सुरक्षा की मांग करते हुए राजदूत को बुलाने और उन्हें निंदा पत्र सौंपने का भी अनुरोध करता हूं।”

बहरीन के एक और सांसद अहमद कराता भी अतीक के समर्थन में आए। उन्होंने कहा, “अतीक अहमद और उनका भाई पुलिस हिरासत में थे। वे पुलिस की मौजूदगी में चरमपंथियों द्वारा मारे गए थे। यह बहुत दुख की बात है।”

अल-कायदा ने जारी की 7 पन्नों की मैग्जीन

वहीं, आतंकी संगठन अल-कायदा (AQIS) ने भारत को बदला लेने की धमकी है। समूह ने दोनों भाईयों को शहीद बताया है और उनकी मौत का बदला लेने की धमकी दी है। समूह ने ईद-उल-फितर पर सात पन्नों की एक पत्रिका जारी की, जिसमें मुसलमानों को आजाद कराने का भी संकल्प लिया है।

इसमें भारत और कश्मीर पर भी जहर उगला है। पत्रिका में अलकायदा ने व्हाइट हाउस से लेकर दिल्ली और टेक्सास से लेकर तिहाड़ जेल तक जिहाद के लिए हुक्कार भरी।

15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में कॉल्विन हॉस्पिटल के बाहर पुलिस की मौजूदगी में हत्या कर दी गई थी। मीडियाकर्मी बनकर आए तीन युवकों ने दोनों भाईयों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। इस दोहरे हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और यूपी पुलिस सवालों के घेरे में आ गए हैं। विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठा रहा है।