Atal Bihari Vajpayee: साल 1996 में 13 दिन में ही अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार गिरने पर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) ने उनसे कहा था कि एक बार फिर उनकी वापसी होगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी (Arun Shourie) ने रविवार को टाइम्स लिटफेस्ट के समापन दिवस पर यह दिलचस्प किस्सा साझा किया। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति की वो बात सही साबित हुई और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। उन्होंने बताया कि 1996 में प्रधानमंत्री का पद छोड़ने के बाद पीवी नरसिम्हा राव ने अपने उत्तराधिकारी अटल बिहारी वाजपेयी को एक पर्ची सौंपी थी, जिसमें लिखा था, “कलाम से मिलिए (मीट कलाम)।”

पोखरण II परमाणु परीक्षणों के लिए निर्णायक साबित हुई थी यह मुलाकात

शौरी ने बताया कि उस समय अटल नहीं जानते थे कि कलाम कौन हैं। कलाम उस समय मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और सचिव, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) थे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कलाम को मिलने के लिए बुलाया। यह मुलाकात 1998 में पोखरण II परमाणु परीक्षणों के लिए निर्णायक साबित हुई।

शौरी ने बताया, “जब नरसिम्हा राव सरकार गिर गई और अटल जी सत्ता में आए, तो अटल जी ने हमें बताया कि राव ने उन्हें एक पर्ची दी थी जिसमें लिखा था ‘कलाम से मिलिए’। वाजपेयी हैरान थे कि कलाम कौन हैं। फिर उन्हें पता चला और कलाम को बुलाया गया।” शौरी ने बताया कि जब वाजपेयी ने कलाम को नरसिम्हा राव के उस संदेश के बारे में बताया, तो उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि वह संदेश परमाणु परीक्षण लिए दिया गया था। शौरी ने बताया कि कलाम ने अटल से कहा कि राव ने परमाणु परीक्षण को अपने कार्यकाल के दौरान मंजूरी दे दी थी, लेकिन अमेरिकी दबाव के कारण इसे रोकना पड़ा था।

13 दिन बाद गिर गई थी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार

उन्होंने आगे बताया, “कलाम ने अटल जी से कहा, सर, हम परमाणु हथियार का परीक्षण करने के लिए तैयार थे, लेकिन अमेरिकी दबाव और कई अन्य चीजों के कारण हमें रोक दिया गया था। वह (राव) चाहते हैं कि आप इसे फिर से शुरू करें… परीक्षण करने में हमें एक महीने का समय लगेगा।” इसके बाद वाजपेयी ने कलाम से तुरंत काम शुरू करने के लिए कहा। हालांकि, योजना को आकार देने से पहले ही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 दिनों में ही गिर गई।

शौरी ने कहा, “मुझे याद है कि अटल जी लोकसभा से वापस अपने कक्ष में चले गए और उन्होंने कहा ‘हम एक वोट से हार गए’ … कलाम अंदर आए और कहा, ‘सर, आप वापस आएंगे और हम इसे करेंगे। और ठीक ऐसा ही हुआ। मार्च 1998 में भाजपा सत्ता में वापस आई और वाजपेयी एक बार फिर भारत के प्रधानमंत्री बने।”

अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 11 मई, 1998 को तीन उपकरणों का परीक्षण किया गया, जिसमें एक थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस (शक्ति I), एक विखंडन डिवाइस (शक्ति II), और एक सब-किलोटन डिवाइस (शक्ति III) शामिल हैं।