उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को आदेश दिया कि असम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी)की अंतिम सूची से बाहर रह गए लोगों के नाम 31 अगस्त को केवल ऑनलाइन प्रकाशित किए जाएं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की पीठ ने कहा कि असम एनआरसी के आकंडों की सुरक्षा के लिए आधार जैसी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एनआरसी बनाने की चल रही प्रक्रिया को कानूनी रूप से दी जा रही चुनौतियों के आधार पर दोबारा शुरू करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। सर्वोच्च अदालत ने पहले कहा था कि अंतिम असम एनआसी 31 अगस्त तक प्रकाशित किया जाएगा।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी की कवायद को लेकर असम विधान सभा के भीतर और बाहर की गयी आलोचना और बयानों को दरकिनार करते हुये बृहस्पतिवार (8 अगस्त) को भी कहा था कि वह चाहता है कि इस काम को पूरा करने के लिये निर्धारित 31 अगस्त की समय सीमा का पालन हो। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की पीठ ने असम नागरिक पंजी के समन्वयक प्रतीक हजेला की रिपोर्ट का जिक्र किया जिसमें उन्होंने असम विधानसभा में इस बारे में जानकारी लीक होने और विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के कानूनी सलाहकार सांतानु भराली के बयानों का उल्लेख किया है।

पीठ ने कहा था कि उसका ऐसे बयानों से कोई सरोकार नहीं है और वह सिर्फ यह देख रही है कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी बनाने की सारी कवायद 31 अगस्त की समय सीमा के भीतर पूरी हो। पीठ ने कहा, ‘‘आपने (हजेला) विधानसभा में जानकारी का खुलासा करने के संबंध में प्रतिपक्ष के नेता के बयानों और आंकड़ों की गोपनीयता के बारे में सांतानु भराली के प्रेस बयान की ओर हमारा ध्यान आर्किषत किया है। जहां तक प्रतिपक्ष के नेता के बयान का संबंध है, हमें इसकी गहराई में जाने की जरूरत नहीं है। जब न्यायाधीश या न्यायालय कोई आदेश पारित करता है तो कुछ लोग उसकी आलोचना करते ही हैं।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारे आदेश और हमारी कार्रवाई हर क्षण बहस और आलोचना का विषय होती हैं। हम इससे विचलत नहीं होते। यदि हम इस पर गौर करेंगे तो हम कभी भी अपना काम पूरा नहीं कर सकेंगे।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे इसकी परवाह नहीं कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी की कवायद के बारे में क्या कहा जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी 31 अगस्त की निर्धारित समय सीमा के भीतर ही तैयार हो। कौन इसे पसंद कर रहा है, कौन नहीं कर रहा है, हमें इसकी परवाह नहीं है।’ इससे पहले, इस मामले की सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने नागरिक पंजी के समन्वयक प्रतीक हजेला से बातचीत की और उनसे कहा कि शायद वह इस कवायद के दौरान एकत्र किये गये आंकड़ों की गोपनीयता बनाये रखने के लिये सुझाव चाहते हैं।

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सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया गया कि कामरूप जिले के एक इलाके से करीब 33,000 लोगों का सत्यापन करना होगा क्योंकि यह पता चला है कि वहां नोटिस जारी करने के मामले में शिकायतें मिली हैं। पीठ ने नागरिकता (संशोधन) कानून, 2003 के प्रावधानों पर भी चर्चा की। ये प्रावधान राष्ट्रीय नागरिक पंजी के तहत लोगों पर विचार करने के मामले में अमल में लाये गये हैं।  पीठ ने कहा कि प्रतीक हजेला से नोट मिलने के बाद वह इस बारे में आदेश पारित करेगी कि क्या इस कानून की धारा 3 (1)(ए), 3(1)(बी) और धारा 3 (1)(सी) के आधार पर नाम शामिल किये जायेंगे। शीर्ष अदालत ने 23 जुलाई को असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी के अंतिम प्रकाशन की समय सीमा 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी थी।