Assam NRC Final List 2019: असम में अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को शनिवार को ऑनलाइन जारी किया गया। एनआरसी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, अंतिम एनआरसी में 3.11 करोड़ आवेदकों के नाम शामिल हैं, जबकि 19.07 लाख इससे बाहर हो गए हैं।
बता दें कि 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित ड्राफ्ट में 2.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे। इसके लिए कुल 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों को छोड़ दिया गया था। असम में सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एनआरसी को अपडेट किया गया है। एनआरसी के अंतिम रूप से प्रकाशन की तारीख करीब आने के साथ कई लोगों ने सूची के ”स्वतंत्र एवं निष्पक्ष” होने पर संशय जाहिर किया है।
Assam NRC Final List 2019 Live Updates
एएएसयू को छोड़ कर भाजपा, कांग्रेस और एआईयूडीएफ समेत सभी बड़े राजनीतिक दलों ने शंका जाहिर की है कि कई वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम छूट सकते हैं जबकि अवैध विदेशियों के नाम शामिल किए जा सकते हैं।
एनआरसी लिस्ट के प्रकाशन के मद्देनजर प्रशासन ने राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी है। राजधानी गुवाहाटी के कुछ हिस्सों सहित हिंसा के लिए संवेदनशील माने जाने वाले कुछ इलाकों में बड़ी सभाओं और लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं।


असम में लाखों लोगों के भाग्य का फैसला होने में कुछ घंटों का समय बचा है। इसको देखते हुए पूरे राज्य को हाई अलर्ट पर रखा गया है। राज्य में अंतिम सूची आने से पहले लोगों के बीच भय का माहौल है। संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लगा दी गयी है।
असम में सोमवार से करीब 200 अतिरिक्त विदेशी न्यायाधिकरण काम करेंगे जहां वो नागरिक अपना पक्ष रख सकते हैं जिनके नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं हैं। असम सरकार केंद्र की सहायता से इन विदेशी न्यायाधिकरणों (एफटी) का गठन कर रही है।
असम के पुलिस प्रमुख ने कहा है कि पुलिस, सामुदायिक पुलिस प्रणाली का नवोन्मेषी मॉडल अपनाकर एनआरसी की अपडेशन प्रक्रिया के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती से प्रभावी तरीके से निपट पायी है। पुलिस महानिदेशक कुलाधर सैकिया ने कहा कि ‘‘नागरिक समितियों’’ का उपयोग पुलिस ने यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि एनआरसी सूची को तैयार करने के दौरान शांति बनी रहे। ये समितियां करीब 23 साल पहले राज्यभर में विभिन्न थाना क्षेत्रों में बनायी गयी थीं।
एनआरसी की फाइनल लिस्ट आने से पहले असम में भारी सुरक्षा बल की तैनाती कर दी गई है। एनआरसी से संबंधित हिंसा की आशंका को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई गई है। पुलिस महानिदेशक कुलधर सैकिया ने 'द वायर' से बातचीत में यह जानकारी दी।
एनआरसी पर केंद्र सरकार ने बीते महीने कहा था कि भारत दुनिया भर के शरणार्थियों की राजधानी नहीं बन सकता। 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने यह दलील पेश की थी। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा। केंद्र और असम सरकार ने सीमा से लगे जिलों मे 20 फीसदी सैंपल पुर्नजांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से फाइनल एनआरसी की तारीख 31 जुलाई बढ़ाने का आग्रह किया।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। 31 दिसंबर 2017 को एनआरसी का आंशिक मसौदा पेश किया गया था। इसमें 3.29 करोड़ में से महज 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल थे। 30 जुलाई 2018 को अंतिम मसौदा पेश किया गया। इसमें 2.89 करोड़ लोगों को शामिल किया गया।
एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन से पहले असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को लोगों से कहा कि वे घबराएं नहीं राज्य सरकार अपनी नागरिकता साबित करने में उन लोगों को मदद करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी जो वास्तव में भारतीय हैं। सोनोवाल ने इन लोगों को कानूनी सहायता मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया।
असम में 1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में सैन्य अत्याचार शुरू हुआ तब भारी संख्या में प्रवासी असम में शरण लिए। उस दौरान एक विदेशी पत्रकार के सवालों का जवाब देते हुए इंदिरा गांधी ने कहा था कि एक चीज मैं जरूर कहूंगी, मैंने तय किया है कि सभी धर्मों के शरणार्थियों को हर हाल में वापस जाना होगा। उन्हें हम अपनी आबादी में नहीं मिलाने वाले
मीडिया सूत्रों के मुताबिक एनआरसी से भारी संख्या में बंगाली हिंदुओं के बाहर होने की खबर से बीजेपी के कई नेता चिंतित हैं। गौरतलब है कि असम में बीजेपी को सपोर्ट करने वाले बंगाली हिंदुओं की संख्या करीब 18 फीसदी है। लोकसभा चुनाव में इन्होंने 9 सीटों पर बीजेपी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया है कि जो लोग एनआरसी से बाहर होंगो उनके लिए दावा करने के लिए एक हजार ट्राइब्यूनल बनाए जाएंगे। इनमें से 100 पहले ही बनाए जा चुके हैं, जबकि 200 सितंबर तक तैयार हो जाएंगे। इसके अलावा जो लोग ट्राइब्यूनल में केस हार जाएंगे, उनके पास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का भी विकल्प मौजूद रहेगा। गौरतलब है कि इस दौरान किसी भी शख्स को डिटेंशन सेंटर में नहीं रखा जाएगा।
स्थिति को देखते हुए 14 जिलों को अति संवेदनशील घोषित किया गया है। इस बीच केंद्रीय सुरक्षाबलों की 55 कंपनियों को जम्मू-कश्मीर से वापस बुला लिया गया। इन्हें पिछले महीने ही जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया था।
केंद्रीय गृहमंत्रालय ने एनआरसी के संबंध में लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने को कहा है। मंत्रालय ने कहा है कि किसी शख्स का एनआरसी में नाम शामिल नहीं होने का मतलब यह कतई नहीं है कि उसे विदेशी घोषित किया गया है। एनआरसी से बाहर वाले लोग विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं।
एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने कहा कि एनआरसी से संबंधित दो मामले अब भी उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष लंबित हैं और, “हम इन मामलों का
अंतिम एनआरसी के प्रकाशन से पहले निपटान चाहते हैं। हमने लगभग 35 सालों तक इंतजार किया है तो विदेशी नागरिक मुक्त एनआरसी के लिए दो या तीन महीनों का
इंतजार क्यों नहीं।
राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 23 अगस्त को राज्य में कानून और व्यवस्था के स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने उपायुक्त और एसपी को निर्देश दिए कि वे राज्य के प्रभावी और रायशुमारी तैयार करने वाले लोगों के संपर्क में रहे। एनआरसी प्रक्रिया को लेकर लोगों में किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति पैदा नहीं होने देने की बात भी सुनिश्चित करने को कहा गया।
एनजीओ एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने बृहस्पतिवार को बताया कि एनआरसी मामले के मूल याचिकाकर्ताओं के तौर पर हम इस प्रक्रिया से खुश नहीं हैं। हमने सुप्रीम कोर्ट से 100 प्रतिशत पुन: सत्यापन का अनुरोध किया है लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गई। उन्होंने कहा कि यह अपूर्ण एनआरसी होने जा रही है। हमें डर है कि कई अवैध विदेशियों के नाम उसमें होंगे जबकि असल भारतीय नागरिकों को छोड़ दिया जाएगा।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत दास ने कहा कि ऐसी स्थिति में, त्रुटि मुक्त एनआरसी संदेहपूर्ण है। ऐसा लगता है कि हमें ऐसी एनआरसी मिलेगी जिसमें असल भारतीय नागरिकों की बजाए अवैध विदेशियों के नाम शामिल हो सकते हैं। असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी चिंता जताई है कि अंतिम एनआरसी “स्वतंत्र एवं निष्पक्ष नहीं होगी। उन्होंने कहा कि मैं यह एनआरसी प्रकाशन के मसौदे के अपने पूर्व अनुभवों से कह रहा हूं जहां असल भारतीय नागरिकों के नाम छोड़ दिए गए थे।”
असम में एनआरसी की अंतिम सूची से पहले डर का माहौल है। हालांकि केंद्र सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि जो लोग अपनी नागरिकता खो देंगे उन्हें डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा। ऐसे में लोगों को ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है।