कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने सवाल किया कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने किस सबूत के आधार पर 40 लाख लोगों को बांग्लादेशी घुसपैठिया करार दे दिया? क्या पीएम मोदी ने इन लोगों को बांग्लादेश भेजने का वादा किया है? यह बेहद हास्यासपद स्थिति पैदा हो गई है। यह पूरे असम और देश के उत्तर पूर्वी हिस्से को प्रभावित करेगी।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इससे पहले मंगलवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के किसी के साथ भेदभाव नहीं कर रही है। अंतिम ड्राफ्ट में किसी भी भारतीय नागरिक का नाम नहीं काटा गया। मगर सूची में जिनके नाम नहीं हैं, वे घुसपैठिए हैं। आपको बता दें कि असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) जारी किया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार लाखों लोगों को एनआरसी से बाहर करने का कारण नहीं बता रही है। इसके लिए सिर्फ दो वजहों के बारे में जानकारी दी गई है। पहला, चुनाव आयोग ने जिन्हें संदिग्ध मतदाता के तौर चिह्नित किया है। दूसरा, जिन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल्स ने कभी भी चिह्नित किया हो। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा है कि जो लोग एनआरसी के ड्राफ्ट में जगह बनाने से छूट गए हैं, उनके द्वारा दाखिल की जाने वाली आपत्तियों की प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष होनी चाहिए। इस प्रक्रिया के दौरान स्टैंडर्ड प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
उधर, रजिस्टर जनरल ऑफ इंडिया के अधिकारियों का कहना है कि अभी लोगों को एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट का इंतजार करना चाहिए। अधिकारियों के अनुसार, ड्राफ्ट में नाम छूटने के कई कारण हैं, जिनके बारे में लोगों को सूचित किया जाएगा।
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एनआरसी के मसले को लेकर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से मंगलवार को मिलीं। उन्होंने पत्रकारों को बताया, "मैंने एनआरसी विधेयक में संशोधन करने या फिर नया बिल लाने के लिए कहा है। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि सरकार लोगों का शोषण नहीं होने देगी। बंगाल में भी एनआरसी को लागू करने की उड़ती-उड़ती खबरों पर मैंने उनसे बात की है। मैंने उनसे कहा है कि अगर ऐसा कुछ होता है, तो गृह युद्ध छिड़ जाएगा।"
केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष के हवाले से एनआरसी के मुद्दे पर एक ट्वीट किया है। कहा है कि यह महज गलतफहमी है कि जिन 40 लाख लोगों को एनआरसी में शामिल नहीं किया गया है, वे अवैध एलियन घोषित किए गए हैं। यह सूची आधारित प्रारंभिक रिपोर्ट है, जिसे आगे संशोधित किया जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत बोले हैं, "असम के मुख्य चुनाव अधिकारियों से राज्य एनआरसी कॉर्डिनेटर्स के साथ मिल-जुल कर रोडमैप बनाने के लिए कहा है, ताकि अगले साल चार जनवरी तक मतदाता सूची में संशोधन किया जा सके। हम नहीं चाहते कि योग्य मतदाता चुनाव में वोट डालने से छूट जाएं।"
एनआरसी में ट्रांसजेंडरों के बहिष्कार के मामले पर एनआरसी के अधिकारी प्रतीक हाजेला का कहना है कि इस मुद्दे पर असम ट्रांसजेंडर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज कोई फैसला नहीं दिया है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर 16 अगस्त को होने वाली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज एनआरसी के मुद्दे पर कहा है कि जो लोग एनआरसी के ड्राफ्ट में जगह बनाने से छूट गए हैं, उनके द्वारा दाखिल की जाने वाली आपत्तियों की प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष होनी चाहिए। इस प्रक्रिया के दौरान स्टैंडर्ड प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने एनआरसी के मुद्दे पर सत्ताधारी भाजपा पर निशाना साधा है। मायावती ने अपने एक बयान में कहा है कि भाजपा शासित असम में एनआरसी के ड्राफ्ट में 40 लाख अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लगभग जब्त कर दिया है। यदि असम में लंबे समय से रहने वाले अपनी नागरिकता के संबंध में सबूत नहीं दे पा रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि उन्हें देश से बाहर फेंक दिया जाए।
टीएमसी सांसद सुगाता बोस ने आज लोकसभा में एनआरसी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि विदेश मंत्रालय बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए ऑपरेशन इंसानियत चला रहा है। भारत में 40000 रोहिंग्या है, क्या हम सिर्फ उन्हीं के लिए इंसानियत दिखाएंगे, जो बांग्लादेश में हैं? सुगाता बोस के बयान पर केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने सुगाता बोस के इस बयान को गलत बताया और कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जिसने शरणार्थियों का खुले दिल से स्वागत किया। हमने म्यांमार सरकार को वापस लौटने वाले रोहिंग्याओं की सुविधाओं का ख्याल रखने की अपील भी की है।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने आज राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान कहा कि सच्चे भारतीय नागरिकों को देश से बाहर नहीं भेजा जाना चाहिए। NRC के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और इसे वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह मानवाधिकारों से जुड़ा मामला है, ना कि हिंदू-मुस्लिम मामला।
पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि असम की तरह ही बंगाल में भी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जारी किया जाएगा। घोष के अनुसार, 'बंगाल में करीब 1 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी अवैध रुप से रह रहे हैं। अगर उनकी सरकार आती है तो किसी को भी नहीं छोड़ा जाएगा और उन्हें काफी बुरे वक्त का सामना करना पड़ेगा। ' वहीं इस मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी जारी करने का फैसला गृह मंत्रालय द्वारा लिया जाएगा।
NRC में शामिल नहीं किए गए लोगों पर मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना है कि 'अभी फाइनल ड्राफ्ट का इंतजार किया जा रहा है और उसके बाद ही कुछ स्पष्ट रुप से कहा जा सकेगा।' मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ' फाइनल लिस्ट आने के बाद जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं होगा, उसे वोट देने का अधिकार भी नहीं होगा।' मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ नाम प्रकाशित किए गए और 40 लाख नाम प्रकाशित नहीं हुए हैं। हालांकि उनकी वोटर लिस्ट में सिर्फ 2 करोड़ 2 लाख के लगभग ही नाम हैं।
NRC ड्राफ्ट की इस पूरी प्रक्रिया पर सरकार ने करीब 1200 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। वहीं 40,000 सरकारी कर्मचारी और 8200 कॉन्ट्रैक्ट बेस और बाहरी कर्मचारी इस प्रक्रिया में लगे रहे। बता दें कि गृह मंत्रालय 31 दिसंबर, 2018 को NRC का तीसरा और अंतिम ड्राफ्ट रिलीज करेगा।
NRC ड्राफ्ट में अपना नाम चेक करने के लिए लोगों को असम सरकार की आधिकारिक वेबसाइट http://www.assam.gov.in पर लॉग इन करना होगा। इसके बाद लोगों को For complete draft NRC सेक्शन में जाकर किसी एक लिंक को सलेक्ट करना है। इसके बाद निम्न लिंक ओपन होगा, जिसमें लोग अपना ARN नंबर और दिया गया कैप्चा डालकर सर्च पर क्लिक करना होगा। जिसके बाद एनआरसी ड्राफ्ट की पूरी लिस्ट खुलकर स्क्रीन पर आ जाएगी। जिसमें लोग अपना नाम देख सकते हैं।
असम में जिन लोगों का नाम NRC के पहले ड्राफ्ट में शामिल था, लेकिन दूसरे ड्राफ्ट में उनका नाम नहीं है, ऐसे लोगों को लेटर ऑफ इन्फॉर्मेशन के जरिए सूचित कर इसका कारण बताया जाएगा। ताकि ये लोग फाइनल ड्राफ्ट में इस गलती को सुधार सकें। लेटर ऑफ इन्फॉर्मेशन के जरिए लोगों के नाम शामिल होने के 3 कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण गलती से नाम छूटना हो सकता है, दूसरा कारण लोगों द्वारा गलत दावा पेश करना हो सकता है और तीसरा कारण लोगों द्वारा जमा किया गया पंचायत सर्टिफिकेट गलत होना हो सकता है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगी। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की मुलाकात में NRC का मुद्दा अहम रहेगा। तृणमूल कांग्रेस की चीफ बाद में यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और मशहूर वकील राम जेठमलानी से भी मुलाकात करेंगी।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का एनआरसी मुद्दे पर कहना है कि असम के हर कोने से ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि भारतीय नागरिकों का भी एनआरसी के ड्राफ्ट में से नाम गायब है, इससे राज्य में असुरक्षा का माहौल पैदा हो रहा है। 1200 करोड़ रुपए खर्च करने और बहुत ही जटिल और संवेदनशील एक्सरसाइज को करने के बाद इस प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। सरकार को शांति से इस मुद्दे का हल निकालना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, अभी तक यह साफ नहीं है कि एनआरसी लिस्ट से बाहर किए गए 40 लाख लोग अगले साल के आम चुनावों में वोट कर सकेंगे या नहीं? सूत्रों के अनुसार, इस पर फैसला चुनाव आयोग करेगा। हालांकि लिस्ट से बाहर किए गए लोग अगले माह दोबारा से लिस्ट में शामिल करने के लिए आवेदन कर सकेंगे। हालांकि इन लोगों की नागरिकता पर फैसला चुनावों तक हो सकेगा, यह अभी तक साफ नहीं है।
एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस ने तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। कांग्रेस की मांग है कि इस बैठक में सरकार सभी दलों को इस बात का विश्वास दिलाए कि किसी भी नागरिक को नहीं छोड़ा जाएगा। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का कहना है कि इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह का कहना है एनआरसी रिपोर्ट में केन्द्र सरकार का कोई रोल नहीं है। विपक्षी पार्टियां वेवजह ही इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही हैं और अफवाहें फैला रही हैं। जबकि यह रिपोर्ट अभी तक फाइनल भी नहीं है।
चुनाव आयोग ने लोगों के घर-घर जाकर सर्वे किया और लोगों के नागरिकता संबंधी कागजात वेरीफाई किए। जो लोग नागरिकता संबंधी कागजात नहीं दिखा पाए, उन्हें चुनाव आयोग ने D- कैटेगरी में डाल दिया है। यदि Foreigner Tribunal D- कैटेगरी के लोगों को विदेशी ना मानें तो ऐसे लोग एनआरसी में शामिल होने के लिए अप्लाई कर सकेंगे।
मीडिया से बात करते हुए सीएम सर्बानंद सोनेवाल ने कहा कि मीडिया और राज्य के लोगों ने एनआरसी की प्रक्रिया को पूरा समर्थन दिया, जिसके लिए मैं उन्हें राज्य में शांति बनाए रखने के लिए धन्यवाद देता हूं।
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनेवाल ने राज्य की जनता से शांति की अपील की है। सीएम ने कहा है कि 'असम एक शांतिप्रिय राज्य है और हमें पूर्ण विश्वास है कि समाज के सभी तबके राज्य में शांति बनाए रखने के लिए आगे आएंगे। हमें हमेशा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना होगा।'
एनआरसी के प्रदेश समन्वयक प्रतीक हाजेला ने कहा, ‘‘मसौदे के संबंध में दावा और आपत्ति जताने की प्रक्रिया 30 अगस्त से शुरू होगी और 28 सितंबर तक चलेगी। लोगों को आपत्ति जताने की पूर्ण एवं पर्याप्त गुंजाइश दी जाएगी। किसी भी वास्तविक भारतीय नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है।’’
करीब 40.07 लाख आवदेकों को शामिल ना किए जाने पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए एनआरसी के प्रदेश समन्वयक प्रतीक हाजेला ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार यह प्रक्रिया पूरी की गई है। उन्होंने बताया कि चार श्रेणियों के लोगों संशयशील मतदाता, उनकी संतानों, जिन लोगों के मामले विदेशी न्यायाधिकरण में लंबित हैं और उनकी संतानों को सूची में शामिल नहीं किया गया है।
अंतिम मसौदा जारी होने के कुछ मिनटों बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह प्रकिया ‘‘निष्पक्ष और पारदर्शी’’ तरीके से पूरी की गई। उन्होंने नयी दिल्ली में पत्रकारों से कहा, ‘‘किसी के भी खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसलिए किसी को भी घबराने की जरुरत नहीं है।’’ सिंह ने कहा कि अगर किसी का नाम अंतिम सूची में शामिल नहीं है तो वह विदेशी न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग अनावश्यक रूप से डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह पूरी तरह से निष्पक्ष रिपोर्ट है। कोई भी गलत सूचना नहीं फैलानी चाहिए। यह एक मसौदा है ना कि अंतिम सूची।’’
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों को बधाई देते हुए कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक दिन हमेशा लोगों की यादों में रहेगा।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की प्रत्यक्ष देखरेख में केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ भारत के महापंजीयक के सहयोग से आज अंतिम मसौदे के प्रकाशन की प्रक्रिया पूरी की गयी। उन्होंने कहा, ‘‘इस असाधारण काम के लिए मैं एनआरसी के अद्यतन की प्रक्रिया में शामिल 55,000 अधिकारियों और बराक तथा ब्रह्मपुत्र घाटियों, मैदानों और राज्य की पहाड़ियों पर रहने वाले लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं।’’ मुख्यमंत्री ने लोगों से ‘‘साम्प्रदायिक और उकसावे’’ वाली टिप्पणियां करने से बचने की भी अपील की।
दिल्ली के लिये आज रवाना हो रहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से समय मांगेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पार्टी के सांसदों की एक टीम असम भेज रही हूं और जरूरत पड़ी तो मैं भी वहां जाऊंगी।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम बंगाल सरकार उन लोगों को आश्रय देगी जिनके नाम एनआरसी के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हैं, इस पर ममता ने कहा, ‘‘उनके अपने घर हैं.....वे असम के निवासी हैं। यदि वे आना चाहेंगे तो हम इस बारे में सोचेंगे। लेकिन उन्हें निकाला ही क्यों जाए? वे भारतीय हैं, लेकिन वे अपने ही देश में शरणार्थी बन गए हैं।’’
असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) मुद्दे को लेकर राज्यसभा में सोमवार को बार-बार हंगामा देखने को मिला, जिसके परिणामस्वरूप सदन को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया। भोजनावकाश के बाद जैसे ही सदन की बैठक शुरू हुई, विपक्षी सदस्यों ने फिर से एनआरसी का मुद्दा उठाया। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। सदन की बैठक जैसे ही अपराह्न् 2.11 बजे दोबारा शुरू हुई, विपक्षी सांसद फिर खड़े हो गए। इसके बाद नायडू ने शोरगुल के बीच सदन को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया।
NRC के लिए आवेदन करने वाले कुछ 3.29 करोड़ लोगों में से कुछ लोगों को सीधे बाहर किया गया है। फाइनल ड्राफ्ट में विदेशियों के ट्रिब्यूनल द्वारा 'विदेशी' घोषित किए गए, बॉर्डर पुलिस द्वारा ट्रिब्यूनल को रेफर किए गए लोगों के भाई-बहन और पारिवारिक सदस्य, 'डी' वोटर्स शामिल नहीं किए गए हैं। 'डी' यानी 'संदेहास्पद' वोटर्स की श्रेणी 1997 के चुनाव में असम में लाई गई, जिसमें वह लोग थे जो सत्यापन प्रक्रिया के दौरान अपनी नागरिकता साबित करने में असफल रहे थे।
सुबह जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी दलों ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) का मुद्दा उठाया, जिसका अंतिम ड्राफ्ट तैयार हो गया है और इसमें लगभग 40 लाख लोगों को भारतीय नागरिकता नहीं मिली है। विपक्षी सांसदों ने इसे अमानवीय करार दिया। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन इस मुद्दे को उठाना चाहते थे लेकिन हंगामा जारी रहने के कारण ऐसा नहीं कर सकें। तृणमूल कांग्रेस द्वारा उठाए गए इस मुद्दे का कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं ने भी समर्थन किया। सभापति वेंकैया नायडू ने हंगामा कर रहे सदन के सदस्यों से अपनी सीटों पर वापस जाने के लिए कहा क्योंकि वह इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तैयार थे। नायडू ने सदस्यों को सदन स्थगित करने की चेतावनी दी, लेकिन वे नहीं माने।
NRC फाइनल ड्राफ्ट में शामिल नहीं हो सके 40 लाख अभ्यर्थियों के मुद्दे पर एनआरसी के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हाजेला का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार ही सारी कारवाई की जा रही है। हाजेला ने बताया कि जो लोग फाइनल ड्राफ्ट में शामिल नहीं किए गए हैं, वो सेवा केन्द्रों पर जाकर फिर से आवेदन कर सकेंगे। दावों और आपत्तियों की प्रक्रिया 30 अगस्त से शुरु होगी और 28 सितंबर तक चलेगी। हाजेला के अनुसार, 'ड्राफ्ट में शामिल नहीं हो सके किसी भी सच्चे भारतीय नागरिक को घबराने की जरुरत नहीं है।'
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाना चाहते थे लेकिन हंगामा जारी रहने के कारण ऐसा नहीं कर सकें। तृणमूल कांग्रेस द्वारा उठाए गए इस मुद्दे का कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं ने भी समर्थन किया। सभापति वेंकैया नायडू ने हंगामा कर रहे सदन के सदस्यों से अपनी सीटों पर वापस जाने के लिए कहा क्योंकि वह इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तैयार थे। डेरेक ओ ब्रायन और अन्य तृणमूल सदस्यों को शोरगुल के बीच यह कहते सुना गया कि असम में एनआरसी अमानवीय है। इस मुद्दे पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया भी चाहते हैं।
ममता बनर्जी ने कहा है कि वह असम जाने का प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि ''मेरे सांसद पहले ही जा रहे हैं। देखते हैं कि उन्हें रोका जाता है या नहीं।'' ममता ने कहा, ''जिन 40 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं, वे कहां जाएंगे? क्या केंद्र के पास उनके लिए कोई पुनर्वास योजना है? आखिरकार बंगाल को ही भुगतना पड़ेगा। यह भाजपा की वोट बैंक की राजनीति है।"
ममता ने आरोप लगाया कि लोगों को योजनाबद्ध तरीके से असहाय किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ''हम चिंतित हैं क्योंकि लोगों को उनके ही देश में शरणार्थी बनाया जा रहा है। यह बंगाली बोलने वालों और बिहारियों को बाहर करने की साजिश है। हमारे राज्य में भी इसका असर दिखेगा।''
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है, ''कई ऐसे लोग थे जिनके पास आधार कार्ड और पासपोर्ट है मगर उनके नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं हैं। उपनाम के आधार पर भी लोगों के नाम हटाए गए हैं। क्या सरकार जबरन लोगों को निकालना चाहती है?"
- 1951 और 1961 के बीच असम में घुसे विदेशियों को पूर्ण नागरिकता दी जाए, वोट के अधिकार के साथ।
- 1971 के बाद भारत में प्रवेश करने वालों को डिपोर्ट किए जाए। 1961 और 1971 के बीच आने वालों को वोटिंग का अधिकार न मिले, हां उन्हें भारतीय नागरिक के अन्य सभी अधिकार दिए जाएं।
1979 में ऑल इंडिया असम स्टूडेंट्स यूनियन ने अवैध शरणार्थियों की पहचान और डिपोर्ट किए जाने की मांग करते हुए एक अभियान लॉन्च किया। यह 15 अगस्त, 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री, राजीव गांधी की मौजूदगी में हुए असम समझौते के रूप में फलीभूत हुआ। इस समझौते के बाद असम में विरोध रुक गया और इसके नेताओं ने राजनैतिक दल बनाकर जल्द ही सत्ता भी पा ली।
दावों, आपत्तियों और सुधार के लिए अलग-अलग फॉर्म होंगे। जिन आवेदकों ने 31 अगस्त, 2015 तक NRC आवेदन किए होंगे, वही दावा कर सकेंगे। आपत्तियां कोई भी दाखिल कर सकता है। दावे सिर्फ उसी NRC सेवा केंद्र पर सबमिट किए जाएंगे, जहां आवेदक ने अप्लाई किया था। अगर आवेदक का पता बदल गया तो भी उन्हें उसी सेवा केंद्र से आवेदन करना होगा जहां पहले किया था।