असम की नई विधानसभा इस साल अगस्त तक बनकर पूरी तैयार हो जाएगी। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने सोमवार (12 जून, 2023) को एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि विधानसभा का काम लगभग पूरा हो चुका है और असम को अगस्त तक नई विधानसभा मिल जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि रविवार को वह विधानसभा के काम का जायजा लेने गए थे। इसके बाद उन्होंने ट्वीट करके बताया कि विधानसभा का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है।

आज उन्होंने अपने ट्विटर पर एक पोस्ट किया है, जिसमें नई विधानसभा का एक वीडियो भी शेयर किया है और इसके साथ कैप्शन में लिखा, “अगस्त 2023 में असम को अपना नया विधानसभा परिसर मिल जाएगा। मैंने कल इसके काम का निरीक्षण किया।” ट्वीट में शेयर किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि नई विधानसभा की बिल्डिंग को बहुत भव्य बनाया गया है। इसमें बिल्डिंग के अंदर एक फ्लोर से दूसरे फ्लोर पर जाने के लिए स्वचालित सीढ़ियां (Escalator) लगाई गई हैं।

सदन के अंदर जगह-जगह पर आकर्षक लाइटिंग की गई है और सदस्यों के लिए सीटिंग अरेंजमेंट की खास व्यवस्था की गई है। सदन में वुडेन वर्क किया गया है। वहीं, मीडिया और दर्शकों के लिए गैलरी बनाई गई हैं, जिन्हें कांच से कवर किया गया है। इसके अलावा, बिल्डिंग में कई जगह पर कलाकृतियां बनाई गई हैं।

पिछले महीने ही 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की नई संसद का उद्घाटन किया था, जो केंद्र के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई संसद को बनाने में कुल 1200 करोड़ रुपये का खर्च आया है। नई संसद को सरदार पटेल, बीआर अंबेडकर और चाणक्य जैसी महान हस्तियों की मूर्तियों के अलावा राष्ट्रीय चिन्हों से सजाया गया है। नई संसद की लोकसभा को राष्ट्रीय पक्षी मोर और राज्यसभा को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर तैयार किया गया है। इसके अलावा, इसमें विभिन्न राज्यों का मटीरियल इस्तेमाल किया गया है।

राजस्थान का पत्थर, नागपुर की लकड़ी, मुंबई का क्राफ्टमेन और यूपी के 900 कारीगरों द्वारा बनाए गए कालीन बिछाए गए हैं। इन कालीनों को बनाने में 10 लाख घंटे लगे हैं। वहीं, 60,000 कर्मियों द्वारा संसद भवन तैयार किया गया है। सेंट्रल लॉन्ज में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद का पेड़ भी लगा है और लोकसभा में स्पीकर की कुर्सी के पास सिंगोल को स्थापित किया गया है। हालांकि, नई संसद के उद्घाटन को लेकर विपक्ष ने काफी हंगामा भी किया था। उनकी मांग थी कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नई संसद का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए।