असम में राज्‍य सरकार ने जनसंख्‍या पर नियंत्रण के लिए अनोखा तरीका निकाला है। असम सरकार ने सरकारी योजनाओं का लाभ छोटे परिवारों को को ही देने का फैसला लिया है। मुख्‍यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी में इस बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने महिलाओं के लिए महिला उद्यमिता अछोनी योजना की शुरूआत की।

मुख्‍यमंत्री सरमा ने मीडिया को बताया कि इस योजना के अन्‍तर्गत राज्‍य में स्‍व-सहायता समूहों की 39 लाख महिलाओं को योजना के अन्‍तर्गत कारोबार करने के लिए कुछ शर्तों के साथ तीन वर्ष के भीतर तीन चरणों में वित्तीय सहायता दी जायेगी। इसके लिए 145 कारोबारी मॉडल की पहचान और चयन कर लिया गया है। असम सरकार द्वारा ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए एक नई वित्तीय सहायता योजना कुछ शर्तों के साथ आती है, जिसमें उनके बच्चों की संख्या की सीमा भी शामिल है। शर्तों के मुताबिक, सामान्य और ओबीसी श्रेणियों की महिलाएं अगर योजना का लाभ उठाना चाहती हैं तो उनके तीन से अधिक बच्चे नहीं हो सकते हैं। वहीं, अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) की महिलाओं के लिए यह सीमा चार बच्चों की है।

सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ये होगी शर्त

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गुरुवार को मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता अभियान (MMU) की घोषणा की। यह 2021 में उनकी घोषणा के अनुरूप है कि राज्य सरकार के पास विशिष्ट राज्य-वित्त पोषित योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए दो बच्चों की नीति होगी। हालांकि, एमएमयूए योजना के लिए मानदंडों में फिलहाल ढील दी गई है। मोरन, मोटोक और चाय जनजातियां जो एसटी दर्जे की मांग कर रही हैं, उन पर भी चार बच्चों की सीमा लगाई गई है।

इस योजना का उद्देश्य राज्य के ग्रामीण हिस्सों में स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा महिलाओं को छोटे ग्रामीण उद्यमियों के रूप में आगे बढ़ने में मदद करना है। इसका लक्ष्य प्रत्येक सदस्य के लिए 1 लाख रुपये की वार्षिक आय है।

5 लाख महिलाएं हो सकती हैं योजना से बाहर

सीएम सरमा ने कहा, “इस योजना को बच्चों की संख्या से जोड़ने का तर्क यह सुनिश्चित करना था कि महिलाएं अपने व्यवसाय स्थापित करने के लिए धन का उपयोग करें। अगर एक महिला के चार बच्चे हैं, तो उसे पैसे खर्च करने का समय कहां मिलेगा, बिजनेस करने का समय कहां मिलेगा? वह बच्चों को पढ़ाई कराने में व्यस्त रहेंगी।” मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण असम में स्वयं सहायता समूहों में शामिल 39 लाख महिलाओं में से बच्चों की संख्या की सीमा के कारण लगभग 5 लाख को योजना से बाहर किए जाने की संभावना है।