अभिषेक साहा
असम में तीन लेखकों और नामी प्रकाशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। शिकायतकर्ता को राज्य में 12वीं की राजनीति विज्ञान की किताब में गुजरात दंगों से जुड़े अंश पर आपत्ति है। 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान गुजरात में नरेंद्र मोदी नीत भाजपा सरकार थी। एफआईआर में चारों पर ”हमारे मशहूर प्रधानमंत्री को लेकर भावी छात्रों को भ्रमित” करने का आरोप लगाया गया है। गुवाहाटी स्थित असम बुक डिपो द्वारा प्रकाशित 390 पृष्ठों की यह पुस्तक असल में एक गाइड बुक है, जिसे NCERT के सिलेबस के अनुसार लिखा गया है।
2006 में पहली बार छपी गाइड बुक में ‘Recent Issues and Challenges’ नाम के आखिरी चैप्टर में, ‘Godhra Incident and Anti-Muslim Riot in Gujarat’ नाम का एक सेक्शन है। पृष्ठ संख्या 376 पर असमिया भाषा में लिखा गया है, ”इस घटना में (कोच को आग लगाए जाने) महिलाओं और बच्चों समेत 57 लोग मारे गए। इस शक पर कि घटना के पीछे मुस्लिम थे, अगले दिन गुजरात के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिमों पर निर्दयतापूर्वक हमले किए गए। हिंसा एक महीने से ज्यादा समय तक चली और हजार से ज्यादा लोग मारे गए। मरने वालों में अधिकतर मुसलमान थे। यह बात दीगर है कि हिंसा के समय, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार मूकदर्शक थी। और तो और, आरोप थे कि राज्य के प्रशासन ने हिन्दुओं की मदद की।”
शिकायत ई-डाक के माध्यम से गोलाघाट पुलिस थाने को 15 सितंबर को भेजी गई थी। चिट्ठी में कहा गया है, ”आप यह भली-भांति जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 12 सितंबर, 2011 को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी थी।” शिकायतकर्ता सौमित्र गोस्वामी और मनब ज्योति बोरा ने कहा है कि किताब ”हमारे भावी छात्रों को लोकप्रिय प्रधानमंत्री के बारे में दिग्भ्रमित करती है। प्रकाशक के साथ लेखक भी गलत सांप्रदायिक जानकारियां दे रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली एसआईटी रिपोर्ट का अपमान कर रहे हैं।”
गोलाघाट के एसपी मानबेंद्र देव रे ने कहा कि इस संबंध में एफआईआर अगले दिन (16 सितंबर) को दर्ज हुई। मामला जल्द ही गुवाहाटी पुलिस को सौंप दिया जाएगा क्योंकि प्रकाशक का दफ्तर यहां के पानबाजाार इलाके में है। असम बुक डिपो 90 वर्ष पुराना एक मशहूर प्रकाशन हैं। तीनों लेखक विभिन्न कॉलेजों में शिक्षक रहे हैं।
शिकायतकर्ता गोस्वामी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ”यह कहना कि गुजरात सरकार उस समय ‘मूकदर्शक’ थी, का मतलब है कि उसने हिंसा को समर्थन दिया। लेकिन, 2011 में हमारे अब के प्रधानमंत्री को क्लीन चिट दी जा चुकी थी तो किताब में क्लीन चिट का जिक्र क्यों नहीं है? यह भ्रमित करने वाला है और किताब पर प्रतिबंध या बाजार से हटाया जाना चाहिए।”
असम बुक डिपो में पार्टनर कौस्तव गुहा ने कहा कि किताब का 12वां संस्कण मार्च, 2018 में छपा है। गुहा ने कहा, ”किसी को ठेस पहुंचाना हमारा इरादा नहीं है। हम (किताब में) कोई बदलाव करने को तैयार हैं ताकि किसी को दुख न हो।” नाम न छापने की शर्त पर तीनों में से एक लेखक ने कहा, ”हमने NCERT सिलेबस के अनुसार किताब लिखी।”
