असम कांग्रेस की भीतरी कलह सोमवार को राज्य विधानसभा में साफ दिखाई दी। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का विरोध करते हुए विपक्षी भाजपा का दामन थाम लिया। इसके कारण विधानसभा अध्यक्ष ने 15 विधायकों को पांच दिन के शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया। कांग्रेस के नौ विधायकों के साथ भाजपा के छह विधायकों को अध्यक्ष प्रणब गोगोई ने उनका आदेश नहीं मानने और शोर मचाने को लेकर निलंबित कर दिया। कांग्रेस के इन विधायकों ने हाल में विपक्षी पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा का एलान किया था। सत्र के पहले दिन प्रश्नकाल शुरू होने से ठीक पहले अध्यक्ष गोगोई ने व्यवस्था दी कि भाजपा के सभी विधायक और कांग्रेस के जो विधायक इन्हें समर्थन कर रहे हैं, उन्हें पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया जाता है।
सदन की बैठक शुरू होते ही भाजपा विधायक जादव चंद्र डेका ने प्रश्नकाल को खत्म कर राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चर्चा कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। हिंदी बोलने वाले लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है। जेहादी गतिविधियां चरम पर हैं। हमें इस मुद्दे पर चर्चा करने की इजाजत दी जाए। अध्यक्ष ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया तो सभी भाजपा विधायक खड़े हो गए और तेज आवाज में अपनी मांग का समर्थन करने लगे। उनके साथ मंत्रियों सहित कांग्रेस विधायकों ने भी विपक्ष की मांग का विरोध किया।
इसके बाद भाजपा विधायक सदन के बीच में आ गए और अपनी मांग को लेकर अध्यक्ष पर दबाव बनाने लगे। कांग्रेस के वे विधायक भी उनके साथ आ गए जिन्होंने हाल में विपक्षी पार्टी के साथ अपनी निष्ठा का एलान किया था लेकिन सत्ताधारी पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है। असम विधानसभा में 126 सदस्य हैं। इसके बाद कांग्रेस के विधायक भी सदन के बीच में आ गए और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। दोनों दलों के बीच लगभग टकराव की स्थिति बन गई।
शोरशराबा नहीं थमने पर अध्यक्ष ने मार्शलों को बुलाया और उनके जरिए भाजपा विधायकों को सदन से बाहर कर दिया और उन्हें शीतकालीन सत्र से निलंबित करने का एलान कर दिया। इसके बाद बाकी कांग्रेसी विधायक अपनी सीटों पर वापस आ गए और सामान्य कामकाज शुरू हुआ। प्रश्नकाल खत्म होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री रकीबुल हुसैन ने फिर से कांग्रेस के नौ सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस ने उसके नौ विद्रोही विधायकों की सदस्यता को खत्म करने की मांग की जिस पर अध्यक्ष ने नियमों के तहत कार्यवाही करने की बात कही।