असम विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतों को लुभाने के लिए भाजपा दो हजार मौलवियों को प्रचार में उतारेगी। जमात उलेमा ए हिंद भाजपा के लिए असम के अल्पसंख्यक इलाकों में प्रचार करेगी। जमात उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सोहैब कासमी ने कहा कि अगले कुछ दिनों में 2000 मौलाना और इमाम प्रचार करेंगे। उन्होंने कहा,’इनमें से ज्यादातर मौलवी यूपी के देवबंद से हैं। देश की एकता और अखंडता के लिए कांग्रेस को हराना जरूरी है। कांग्रेस मुसलमानों को अपना वोट बैंक मानती है। लेकिन वास्तव में इसने मुसलमानों की भलाई के लिए कुछ नहीं किया।’
जम्मू कश्मीर का उदाहरण देते हुए कासमी ने कहा कि पीडीपी के साथ गठबंधन कर भाजपा ने संदेश दिया है कि वह शांति और विकास के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। कासमी ने हाल ही में मुस्लिम बहुल नागांव जिले में प्रचार किया था। बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में 61.1 हिंदू, 34 प्रतिशत मुस्लिम, 12 प्रतिशत बोडो और 3.7 प्रतिशत क्रिश्चियन हैं। बारपेटा, करीमगंज, मोरीगांव, बोंगईगांव, नागांव, ढुबरी, हैलाकंडी, गोलपारा और डारंग 9 मुस्लिम बहुल आबादी वाले जिले हैं। इन 9 जिलों में कुल 53 सीटे विधानसभा सीटें हैं। इन 9 जिलों की 39 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी 35 प्रतिशत से ज्यादा है, जबकि अन्य 14 विस क्षेत्रों में यह प्रतिशत 25-30 प्रतिशत है। 2011 विस चुनाव में इन 39 सीटों में से 18 कांग्रेस ने जीती थीं, जबकि AIUDF ने 16 सीटें जीती थीं।
राज्य में असमी बोलने वाले लोगों की संख्या कम हुई है। 2001 में 48.8% लोग असमी बोलते थे, जबकि अब इनकी संख्या घटकर 47% रह गई है। राज्य में अवैध तौर से रह रहे बांग्लादेशियों का मुद्दा भी अहम है।