Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मामले की सर्वे रिपोर्ट जमा करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने वाराणसी की जिला अदालत से एक हफ्ते का समय मांगा है। पिछली तारीख में एएसआई ने कोर्ट से सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के लिए 3 सप्ताह का समय मांगा था। हालांकि कोर्ट ने सिर्फ 10 दिन का समय दिया था। वहीं ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाना प्रकरण में पक्षकार बनने की अर्जी पर जिला जज की अदालत सोमवार को अपना आदेश सुनाएगी। यह अर्जी प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से दी गई है। कोर्ट इस मामले में यह तय करेगी कि वह मुकदमे में पक्षकार बनाए जाएंगे या नहीं बनाए जाएंगे।

कोर्ट के आदेश पर हुआ था सर्वे

वाराणसी की जिला अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कराया गया है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के आदेश से ज्ञानवापी परिसर (सील वजूखाने को छोड़ कर) में एएसआई ने बीते 24 जुलाई को सर्वे शुरू किया था। दो नवंबर को एएसआई ने कोर्ट को बताया कि सर्वे का काम पूरा हो गया है। एएसआई सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपेगा। कोर्ट से इस रिपोर्ट की कॉपी हिंदू और मुस्लिम पक्ष हासिल कर सकेंगे। बता दें कि ज्ञानवापी में सर्वे का काम कई बाद रोका गया और उसकी तिथि को आगे बढ़ाया गया। वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्‍ण विश्‍वेश की अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी मस्जिद के सील वजूखाने को छोड़कर बाकी सभी हिस्‍से और तहखानों का सर्वे करने का आदेश एएसआई को दिया था।

कोर्ट ने एएसआई ने इन बिंदुओं पर मांगी रिपोर्ट

  • ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति
  • मस्जिद के तीन गुंबदों और उसके नीचे के हिस्‍से की प्रकृति
  • नंदी के सामने के व्‍यास समेत अन्‍य सभी तहखानों की सच्‍चाई
  • क्‍या मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर की संरचना के ऊपर किया गया है
  • इमारत की उम्र, निर्माण और दीवारों पर मौजूद कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का निर्धारण
  • मस्जिद के विभिन्‍न हिस्‍सों और संरचना के नीचे मौजूद ऐतिहासिक, धार्मिक महत्‍व की कलाकृतियां और अन्‍य वस्‍तुएं

सर्वे में शामिल हुए देशभर के एक्सपर्ट

एएसआई ने सर्वे के लिए देशभर के विशेषज्ञों को टीम में शामिल किया। इसके लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी किया गया। एएसआई की टीम में डिप्टी डायरेक्टर डॉ. आलोक कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में सारनाथ, प्रयागराज, पटना, कोलकाता और दिल्ली के पुरातत्व विशेषज्ञों ने सर्वे का काम किया। ज्ञानवापी में जीपीआर तकनीक से अध्ययन के लिए हैदराबाद से विशेषज्ञों का दल आया था।