सूरत रेप केस मामले में आसाराम को गुजरात हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। उसे अंतरिम जमानत 3 महीने की दी गई है। बड़ी बात यह रही इससे पहले हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने इसी मामले में एक विरोधाभासी फैसला सुनाया था। दोनों ही जजों की राय एक दूसरे से लग रही। इसके बाद मामले को गुजरात चीफ जस्टिस को ट्रांसफर किया गया और दोपहर में उन्होंने आसाराम को 3 महीने की अंतरिम जमानत दे दी।
आसाराम को पहले भी मिली राहत
जानकारी के लिए बता दें कि आसाराम पर गुजरात के गांधीनगर और राजस्थान के जोधपुर में रेप के केस दर्ज हैं। दोनों ही केस में उसे उम्र कैद की सजा सुनाई जा चुकी है। गुजरात से जुड़े केस में तो इसी साल 7 जनवरी को भी सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को जमानत दे दी थी। इसके बाद 14 जनवरी को जोधपुर वाले केस में भी 31 मार्च तक कोर्ट द्वारा ही आसाराम को राहत दी गई थी।
इस बार क्या फैसला सुनाया गया?
वैसे इस बार की सुनवाई में हाई कोर्ट के जज इलेश जे वोरा की राय एकदम अलग थी। उनकी तरफ से 3 महीने की अंतिम जमानत स्वीकार कर ली गई थी, वहीं दूसरी तरफ जस्टिस संदीप का मानना था कि इस मामले में आंखें बंद नहीं की जा सकती कि आसाराम रेप जैसे गंभीर मामले में दोषी है। इसी आधार पर वह उसकी जमानत को आगे बढ़ाने के लिए राजी नहीं थे।
पूरा मामला क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आसाराम का बेटे नारायण साईं भाई यौन उत्पीड़न मामले में सजा काट रहा है। साल 2019 में नारायण साईं को कोर्ट ने आजीवन सजा सुनाई थी। उसके खिलाफ एफआईआर आसाराम बापू मामले में रेप पीड़िता की बहन ने ही कराया था। आसाराम बापू और उसके बेटे नारायण साईं के खिलाफ साल 2013 में केस दर्ज हुआ था। जिस मामले में कोर्ट ने दोनों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आसाराम की और खबरों के लिए जनसत्ता के इस पेज का रुख करें