राष्ट्रीय स्यवंसेवक संघ (आरएसएस) चीफ मोहन भागवत के लीचिंग पर दिए बयान पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि जिस विचाराधारा ने महात्मा गांधी और तबरेज अंसारी जैसे लोगों की हत्या की उस विचारधारा से भारत की ज्यादा बदनामी हो रही है। ओवैसी ने कहा कि आरएसएस चीफ लींचिंग पर रोक लगाने की बात नहीं कह रहे, बल्कि ये कह रहे हैं कि इसे लींचिंग न कहा जाए। दरअसल भागवत ने आरएसएस के 94वें स्थापना दिवस पर कहा है कि लींचिंग शब्द भारत पर थोपा जा रहा है यह एक पश्चिमी कल्चर से जुड़ा शब्द है। ओवैसी ने इसी पर प्रतिक्रिया दी है।
बीते दिनों बीजेपी मंत्री के तबरेज अंसारी लींचिंग मामले के आरोपियों का माला पहनाकर स्वागत करने का जिक्र करते हुए ओवौसी ने ट्वीट कर कहा ‘पीड़ित भारतीय थे दोषियों को किसने माला पहनाई? तिरंगे में शव को किसने लपेटा? बीजेपी के तो एक सांसद गोडसे से प्यार करते हैं।’
वहीं बीड़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए एआईएमआईएम अध्यक्ष ने कहा कि ‘बीजेपी की सरकार आने के बाद यानि की 2014 के बाद से देश में लींचिंग लगातार बढ़ रही है। मोहन भाग्वत लींचिंग की घटनाओं से इनकार करते हैं लेकिन मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि देश में लींचिंग तब भी हुई थी जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख समुदाय को टारगेट किया गया था। अगर भारत में मॉब लींचिंग जैसी को स्थिति नहीं है तो फिर 2002 में गुजरात में क्या हुआ था।’
उन्होंने आगे कहा कि ‘मोहन भागवत को गोडसे की हत्या करने वाली मानसिकता वाले लोगों को रोकना चाहिए। क्योंकि इस मानसिकता के लोगों ने ही तबरेज अंसारी की हत्या की। तबरेज की हत्या करने वाले लोगों को बीजेपी के एक मंत्री ने बीते दिनों माला पहनाकर स्वागत किया।’
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ओवैसी का इशारा केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा की ओर था। उन्होंने झारखंड के रामगढ़ में मॉब लिचिंग के दोषी करार दिए गए आठ लोगों को जमानत मिलने पर बीते पांच जुलाई को फूलों का हार पहनाकर स्वागत किया था। इस घटना के बाद वे विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि मॉब लिचिंग मामले में दोषी करार दिए गए आठ अरोपी, जिनमें भाजपा कार्यकर्ता भी शामिल थे, जय प्रकाश सेंट्रल जेल से सीधे केंद्रीय मंत्री के घर पहुंचे।
वहां मंत्री ने उनका स्वागत किया। वहीं, इस मामले पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने कहा था कि यह बेहद संवेदनशील मामला था। केंद्रीय मंत्री का यह आचरण अनुचित था। हालांकि विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री को आरोपियों का स्वागत करने पर माफी मांगनी पड़ी थी।