राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है। रंजन गोगोई ने भारत के चीफ जस्टिस के रूप में 9 साल से सुप्रीम कोर्ट में  लंबित अयोध्या में बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद पर फैसला सुनाया था। इस मामले की सुनवाई पांच जजों की पीठ ने की थी।

भारत सरकार के राजपत्र में बताया गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (3) के साथ पठित खंड (1) के उपखंड (क) द्वारा  प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति, एक नामित सदस्य की सेवानिवृत्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए, राज्यसभा में रंजन गोगोई को नामित करते हैं।

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जस्टिस गोगोई का सुप्रीम कोर्ट का कार्यकाल राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में फैसला सुनाने के साथ ही साल 2018 में तीन अन्य जजों के साथ मिलकर अभूतपूर्व रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए भी याद किया जाएगा। जस्टिस गोगोई उस पीठ के भी अध्यक्ष से जिसने साल 2018 में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को भारत के 46वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में शपथ ली थी। वह 17 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे। गोगोई ने अपने ज्यूडिशियल करियर की शुरुआत 1978 में गौहाटी हाईकोर्ट से की थी। बाद में 28 फरवरी 2001 में उन्हें यहा स्थायी जज भी बनाया गया। इसके बाद साल 2010 में उनका ट्रांसफर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में हो गया था।

राष्ट्रपति की तरफ से राज्यसभा के लिए 12 सदस्यों को नामित किया जाता है। वर्तमान में 11 नामित सदस्य हैं। पूर्व सीजेआई को नामित किए जाने के बाद से नामित सदस्यों की संख्या अब पूरी हो गई है। नामित सदस्यों की सूची में संभाजी छत्रपति, रूपा गांगुली, बॉक्सर एमसी मेरीकोम, डांसर सोनल मानसिंह, सुब्रह्म्णय स्वामी, स्वप्न दास गुप्ता, राकेश सिन्हा, डॉ. नरेंद्र जाधव, डॉ. रघुनाथ मोहापात्र, राम शकल, गोपी सुरेश शामिल हैं।