गूगल ने दिल्ली पुलिस की उस मांग को ठुकरा दिया है, जिसमें पिछले साल जनवरी में जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर टेक कंपनी से दो वॉट्सऐप ग्रुप्स के बारे में जानकारी मांगी गई थी। गूगल ने कहा कि इस तरह की जानकारियां सिर्फ तभी दी जा सकती हैं, जब पुलिस उन्हें कोर्ट ऑर्डर भेजेगी।

बता दें कि पिछले साल 5 जनवरी को करीब 100 लोग मुंह को मास्क और कपड़ों से ढककर जेएनयू कैंपस के अंदर घुसे थे और कई घंटों तक यूनिवर्सिटी में मारपीट की थी। इस दौरान हुई हिंसा में 36 लोग घायल हुए थे। घायलों में छात्रों के साथ शिक्षक और स्टाफ के लोग भी शामिल थे। इस मामले में एफआईआर (FIR) दर्ज करने के बाद जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी। हालांकि, अब तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

इसी मामले में दिल्ली पुलिस ने वॉट्सऐप और गूगल से दो वॉट्सऐप ग्रुप्स- ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ और ‘फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस’ के 33 सदस्यों, उनके मैसेज, फोटोज और शेयर किए गए वीडियोज की जानकारी मांगी थी। जहां वॉट्सऐप ने शुरुआत में ही जानकारी देने से इनकार कर दिया था, वहीं अब गूगल ने भी गूगल की तरफ से मुहैया कराई जा रही किसी सेवा की जानकारी देने के लिए नियमों का हवाला दे दिया। कंपनी ने कहा कि वे डेटा संभाल कर रखते हैं और इसे सिर्फ तभी साझा करते हैं, जब उन्हें कोर्ट ऑर्डर भेजा जाएगा।

बताया गया है कि गूगल ने दोनों वॉट्सऐप ग्रुप्स के 33 छात्रों और सदस्यों के ईमेल एड्रेस गूगल के साथ साझा किए थे। सूत्रों का कहना है कि जांचकर्ताओं को ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ा, क्योंकि उन्हें पूछताछ के लिए बुलाए गए किसी भी छात्र के मोबाइल पर इस ग्रुप्स से जुड़े होने के सबूत नहीं मिले। माना जा रहा है कि कुछ ने अपने पुराने चैट्स ही डिलीट कर दिए। सूत्रों का कहना है कि पुलिस को लगता है कि गूगल इन वॉट्सऐप मैसेज का बैकअप शेयर कर सकता है, जिससे जांच में मदद मिल सकती थी।