दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में अब 2 जून को ही सरेंडर करना पड़ेगा, सुप्रीम कोर्ट की रेजिस्ट्री ने उनकी जमानत बढ़ाने वाली अर्जी स्वीकार ही नहीं की है। असल में दिल्ली सीएम चाहते थे कि 2 जून के बाद भी उन्हें जेल ना जाना पड़े, इसी वजह से उन्होंने सर्वोच्च अदालत से गुहार लगाई थी। लेकिन अब उसी अदालत की रेजिस्ट्री ने उस याचिका पर सुनवाई करने से ही मना कर दिया है।
केजरीवाल की विवादित जेल यात्रा
जानकारी के लिए बता दें कि इस साल मार्च महीने में सीएम अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद कई दिनों तक वे तिहाड़ जेल में रहे। उनकी जेल यात्रा भी विवादों से भरी रही। शुरुआत में कहा गया कि केजरीवाल की तबीयत काफी बिगड़ चुकी है, उन्हें वहां पर जेल प्रशासन द्वारा इंसूलिन तक नहीं दिलवाया जा रहा। ये अलग बात थी कि जेल के अधिकारियों और डॉक्टरों की टीम ने इस बात को खारिज कर दिया था।
कैसा रहा आरोप-प्रत्यारोप का खेल?
इसी तरह से ईडी ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान दावा किया था कि अपनी शुगर बढ़ाने के लिए केजरीवाल ने ज्यादा मीठा खाया, उन्होंने तेल वाले खाने का सेवन किया, उन्हें लगातार अपने घर से भी ऐसा ही चिकनाई वाला भोजन मिलता रहा। इस बात को लेकर भी काफी बवाल रहा और आम आदमी पार्टी और सीएम के वकील ने उन तर्कों को सिरे से खारिज किया। अब इन तमाम विवादों के बाद कुछ दिन पहले ही चुनावी प्रचार के लिए केजरीवाल को जमानत दी गई थी।
अब केजरीवाल के साथ क्या हुआ?
कई शर्तों पर सीएम को ये जमानत मिली थी। वे अपने केस पर किसी भी तरह की टीका-टिप्पणी नहीं कर सकते थे। अब जेल से बाहर आने के बाद ही सीएम की लीगल टीम इस कोशिश में थी कि उन्हें फिर जेल ना जाना पड़े, इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। लेकिन सर्वोच्च अदालत की रेजिस्ट्री ने उनकी जमानत अवधि बढ़ाने वाली याचिका को कोई तवज्जो नहीं दी है।
केजरीवाल की क्या रणनीति?
वैसे इस समय खुद को जेल जाने से बचाने के लिए अरविंद केजरीवाल अलग रणनीति पर काम कर रहे हैं। उनकी तरफ से लगातार जनता के बीच कहा जा रहा है कि अगर उन्हें वोट दिया जाएगा, अगर इंडिया गठबंधन की जीत होगी, तो उन्हें फिर जेल नहीं जाना पड़ेगा। अब ये चार जून को साफ होगा कि केजरीवाल को जनता का सही मायनों में जनादेश मिलेगा या नहीं।