दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसे खोड़ा कॉलोनी और मयूर विहार फेज III के बीच महज एक साइनबोर्ड की दूरी है, लेकिन जीवन, सुविधाएं, और राजनीति दो अलग-अलग दुनियाओं की कहानी बयां करती हैं। दिल्ली में चुनावी हलचल तेज है, लेकिन सीमा पार यूपी की खोड़ा कॉलोनी सन्नाटे में डूबी है। दोनों जगहों के लोग एक-दूसरे की जिंदगी से प्रभावित हैं, लेकिन सुविधाओं की खाई साफ दिखती है।
दो राज्य और दो तरह के हालात
दिल्ली में मयूर विहार फेज III की गलियों में जहां चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है, वहीं खोड़ा कॉलोनी में विकास की उम्मीदें टूट चुकी हैं। खोड़ा की हरिप्रिया देवी कहती हैं, “हमारा इलाका ऐसा है जैसे बीच में फंसा हुआ। न इधर के हैं, न उधर के।” उनके बच्चे दिल्ली के स्कूल में पढ़ते हैं, और इलाज के लिए भी दिल्ली ही जाते हैं। वहीं, किराना दुकानदार धनी राम पाल कहते हैं कि खोड़ा में पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी सही नहीं हैं। उन्होंने बताया, “हमें 500 लीटर पानी के लिए 300 रुपये चुकाने पड़ते हैं।”
दिल्ली के मोहल्लों में बेहतर सुविधाएं, लेकिन अधूरी उम्मीदें
मयूर विहार फेज III और त्रिलोकपुरी जैसे दिल्ली के इलाकों में सुविधाएं बेहतर हैं, लेकिन समस्याएं कम नहीं। स्क्रैप डीलर धर्मेंद्र कुमार कहते हैं, उन्होंने शिकायत की, “दिल्ली में अच्छे स्कूल और अस्पताल हैं, लेकिन सड़कें और नालियां बदहाल हैं।” कचरा और जलभराव जैसी समस्याओं से लोग परेशान हैं। इसी इलाके की 65 वर्षीय शीला देवी कहती हैं कि सरकार की मुफ्त योजनाओं में पारदर्शिता नहीं है। “हम मुश्किल से घर पर रहते हैं, फिर भी बिजली का बड़ा बिल आ जाता है।”
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खोड़ा में सुविधाओं की कमी, लेकिन दिल्ली की राजनीति का असर
खोड़ा कॉलोनी के निवासियों का कहना है कि वे सीधे दिल्ली सरकार के कामों से प्रभावित होते हैं। वेल्डर अमर चंद राम कहते हैं, “दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक और मुफ्त राशन जैसी योजनाएं हैं, लेकिन यूपी में कुछ नहीं।” हालांकि, खोड़ा और गाजियाबाद जैसे इलाकों में साफ पानी और बेहतर सड़कें दिल्ली के मुकाबले थोड़ी राहत देती हैं।
कानून-व्यवस्था और बुनियादी जरूरतें बनी चुनौती
दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में झपटमारी और बढ़ती कीमतें बड़ी समस्याएं हैं। राहुल यादव, जो आटा चक्की चलाते हैं, कहते हैं, “मुफ्त योजनाओं का फायदा घर मालिकों को मिलता है, किराएदारों को नहीं।” वहीं, खोड़ा की 63 वर्षीय सब्जी विक्रेता राज कुमारी राशन कार्ड न मिलने से नाराज हैं। दिल्ली के त्रिलोकपुरी और कोंडली विधानसभा क्षेत्र पिछले तीन चुनावों से आम आदमी पार्टी के गढ़ बने हुए हैं।
इस बार भी त्रिलोकपुरी से AAP की अंजना पारचा मैदान में हैं, जबकि कोंडली से मौजूदा विधायक कुलदीप कुमार अपनी सीट बचाने की कोशिश में हैं। वहीं, यूपी में गाजियाबाद और नोएडा भाजपा के गढ़ बने हुए हैं। सुनील कुमार शर्मा और पंकज सिंह जैसे भाजपा विधायक यहां मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं।