अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी सालों से जीवनरेखा मानी जाती है। लेकिन इस वक्त इसका रंग काला पड़ जाने से लोग परेशान हैं। लगभग दो महीनों से पानी में मिट्टी, कीचड़ और गंदगी देखने को मिल रही है। ऐसे में इसका पानी किसी भी काम में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। नदी के इस हाल से पिछले डेढ़ महीने में सैकड़ों मछलियों की जान भी चली गई। बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के पाशीघाट में सियांग नदी बहती है। यह नदी चीन से बहती है। तिब्बत में आकर यह यारलंग जांगबो कहलाती है। जबकि, असम में आकर यह ब्रह्मपुत्र के रूप में जानी जाती है। नदी का रंग काला पड़ने के पीछे चीन की चाल होने की आशंका जताई जा रही है। जिले के डिप्टी कमिश्नर ताम्यो तातक ने इस बारे में कहा, “यह पानी किसी भी काम में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसमें सीमेंट जैसी पतली चीज है। यही कारण है कि तकरीबन डेढ़ महीने पहले ढेर सारी मछलियों की मौत हो गई थी।”
उन्होंने आगे बताया, “पिछले मॉनसून सीजन में भी नदी का रंग काला पड़ गया था। तब उसमें ढेर सारी मिट्टी और कीचड़ देखने को मिला था। बरसात का मौसम लंबा रहता है। लेकिन पानी अभी भी काला ही है। नवंबर से फरवरी तक पानी बिल्कुल साफ-सुथरा और चमकदार रहता है। यहां तक कि मेरे दादा जी ने भी सियांग को ऐसा होते कभी नहीं देखा या सुना।”
China chokes India’s artery, sinister plot to ‘cripple’ India. Attempt to parch North-East, ‘blocking’ Brahmaputra’s water pic.twitter.com/NupXaZu0Mp
— TIMES NOW (@TimesNow) November 29, 2017
तातक के मुताबिक, “जल आयोग ने इस बाबत सियांग नदी के पानी के सैंपल लिए हैं। आशंका है कि इसके पीछे चीन की चाल हो सकती है। ऐसा लगता है कि चीन में नदी के ऊपर सीमेंट से जुड़ा कुछ काम चल रहा है। हो सकता है कि वहां गहरी बोरिंग से जुड़ा कोई काम हो रहा हो। इसके अलावा इतनी बड़ी नदी के दो महीनों में काले पड़ने के पीछे क्या कारण हो सकता है, जो आगे चलकर ब्रह्मपुत्र बन जाती है।”
उधर, चीन ने अपने ऊपर लगे उन आरोपों को सिरे से खारिज किया है, जिसमें नदी के पानी की दिशा बदलने को लेकर भारत की ओर से आशंका जताई जा रही है। यह भी कहा जा रहा था कि नदी के पानी के बहाव की दिशा बदलने के लिए बीजिंग एक हजार किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना बना रहा है।
