देश में UCC यानी यूनिफोर्म सिविल कोड\समान नागरिक संहिता पर बहस जारी है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण में यूसीसी का ज़िक्र किया था तब ही से इस तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा सरकार जल्द ही अपनी इस चुनावी घोषणा को लागू करने वाली है। 

अब इस मुद्दे को लेकर मुस्लिम संगठन भी अपनी राय के साथ सामने आते दिखाई दे रहे हैं। जमीयत-उलमा-ए-हिन्द ने UCC को लेकर अपनी एक राय तैयार कर लॉ कमीशन को भेजी है। जिसमें इसे एक खतरा बताते हुए कहा गया है कि यह मजहब से टकराता है। 

क्या बोले मौलाना अरशद मदनी 

जमीयत-उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अर्शद मदनी ने कहा कि उनका संगठन अपनी एक राय बनाकर लॉ कमीशन को भेज रहा है। हमने उनसे कहा है कि इस मुद्दे को लेकर बैठ कर बता की जानी चाहिए। जहां सभी धर्मों को बुलाकर बात होनी चाहिए। 

मौलाना ने कहा कि यूसीसी शरीयत के खिलाफ है और हम इसे कतई मंजूर नहीं करने वाले हैं। मुसलमान सबकुछ बर्दाश्त कर सकता है लेकिन अपनी शरीयत से समझौता नहीं कर सकता है। 

इससे पहले पिछले महीने एक बयान देते हुए अरशद मदनी ने कहा था कि हमारी मस्जिद ही चली गई, हम कुछ नहीं कर पाए, अब यूसीसी में क्या कर लेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता के बारे में मुसलमान अपने विचार रखेंगे, लेकिन उनकी बातों की सुनवाई होगी, इसकी उम्मीद नहीं है।

संविधान देता है धर्म को मानने की आज़ादी

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमें धर्म को मानने की आज़ादी संविधान देता है। उन्होने कहा कि UCC संविधान की मूल भावना को तोड़ता है। एक मुसलमान के लिए शरीयत में फेरबदल मुमकिन नहीं है।

क्या है UCC?

समान नागरिक संहिता का मतलब है पूरे देश के लिए एक कानून। जिसे सभी धार्मिक समुदायों पर उनके निजी मामलों जैसे विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि में लागू किया जाएगा। इन मामलों को लेकर भारत में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं, इसीलिए यूसीसी का विरोध भी देखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा बीजेपी सरकार इस यूसीसी को लागू करने की बात कहती रही है।

यूसीसी का लगातार विरोध करने वाले लोगों का तर्क है कि इसके लागू होने से लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं से वंचित हो जाएंगे और इन्हें मानने का उनका अधिकार छिन जाएगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से शादी-विवाह, जमीन जायदाद, संतान और विरासत जैसे मामलों में जो अलग-अलग रियायतें है वो खत्म हो जाएंगी और हर धर्म के लिए एक ही कानून होगा।