पीएम नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू को लेकर सोशल मीडिया और कुछ आलोचकों के निशाने पर आए सीनियर जर्नलिस्‍ट अरनब गोस्‍वामी ने अपना पक्ष रखा है। उन्‍होंने विस्‍तार से उन सभी सवालों के जवाब दिए हैं, जो उन पर उठाए गए थे। अरनब का आर्टिकल businessworld.in वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ है। Arnab Answers The Trolls शीर्षक से लिखे गए इस आर्टिकल में अरनब ने कहा कि लोगों की छवि उनके किए गए कामों से बनती है, इस बात से नहीं कि उन्‍हें सोशल मीडिया पर कितनी बार निशाना बनाया जाता है।

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आलोचकों ने सवाल उठाया था कि अरनब ने सभी मुद्दों पर बात नहीं की। अपने आर्टिकल में अरनब ने लिखा, ‘…एनएसजी से लेकर चीन, पाकिस्‍तान से लेकर राजन, स्‍वामी से लेकर महंगाई, 2019 से लेकर यूपी चुनाव और ध्रुवीकरण की राजनीति, नौकरियां बढ़ाने से लेकर संसद में गतिरोध, जीएसटी बिल के पास होने की संभावना से लेकर राज्‍यसभा में संख्‍याबल, कालेधन से लेकर हर बैंक अकाउंट में 15 लाख देने के वादे, इंटरव्यू में हर चीज कवर की गई।’

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कुछ लोगों को शिकायत थी कि पीएम ने सिर्फ एक मीडिया हाउस को इंटरव्यू दिया जबकि उन्‍हें प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करना चाहिए था। एक महिला पत्रकार ने ऐसा ट्वीट करके अपनी नाराजगी जाहिर की थी। अरनब ने ऐसे पत्रकारों को लुटियन जर्नलिस्‍ट करार देते हुए लिखा, ‘उनमें से एक जो एंकर रही हैं जो मेरे न्‍यूजआवर डिबेट में आने के लिए लॉबीइंग तक कर चुके/चुकी हैं, ने ट्वीट करके लिखा कि पीएम ने मुझे इंटरव्यू देना क्‍यों पसंद किया और प्रेस कॉन्‍फ्रेंस क्‍यों नहीं की। बाद में लोगों की तीखी प्रतिक्र‍िया के बाद उन्‍होंने ट्वीट डिलीट कर दिया। मुझे लगा कि उनका सवाल बौद्ध‍िकता के परे था। पूरी दुनिया में पहला एक्‍सक्‍लूसिव इंटरव्यू उन एंकर या चैनलों को दिया जाता रहा है, जिनकी व्‍यूअरशिप पर कमांड होती है। उनको नहीं, जिन्‍हें कोई नहीं देखता।’

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अरनब ने उन सवालों का भी जवाब दिया, जिसमें उनके नरम लहजे पर कटाक्ष किया गया था। उन्‍होंने लिखा, ‘कुछ बेतुके सवाल मेरे लहजे को लेकर उठाए जा रहे हैं। पूछा जा रहा है कि मैंने न्‍यूजआवर के जैसे अपनी आवाज तेज क्‍यों नहीं रखी? मैंने पीएम को लगातार मिस्‍टर प्राइम मिनिस्‍टर क्‍यों बोला? तीन जवाब उन लोगों को चुप करा देगा जो मुझे लेकर मनोग्रह से ग्रसित हैं। पहली बात, मैं इसी टोन में राहुल गांधी से बातचीत की थी। अगर ऐसे लोग इस बात से निराश हैं कि उन्‍होंने (राहुल) उन्‍हें निराश किया तो यह मेरी समस्‍या नहीं है। दूसरी बात, फ्रैंकली स्‍पीकिंग एक इंटरव्यू है, जबकि द न्‍यूजआवर एक डिबेट है। दोनों के स्‍टाइल और फॉर्मेट बिलकुल अलग हैं। और आखिरी बात, मिस्‍टर प्राइम मिनिस्‍टर का इस्‍तेमाल करना बिलकुल सही है, जब आप प्रधानमंत्री से बात कर रहे हों।’

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