केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इंडिया टूडे कॉनक्लेव में वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई द्वारा पूछे गए सवाल पर कहा भारत दुनिया की एकमात्र ऐसी संस्कृति रही है जो किसी धर्म द्वारा परिभाषित नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया में ज्यादातर सभ्यताएं या ता धर्म पर आधारित रही हैं या फिर किसी अन्य विशेषता पर, जबकि भारत में ऐसा कभी नहीं था। उन्होंने कहा कि हिंदू शब्द किसी धार्मिक आस्था या पूजा पद्धति से जुड़ा हुआ नहीं बल्कि यह असिमित है। आरिफ मोहम्मद खान के अनुसार जब भारत में हिंदू राष्ट्र की बात की जाती है तो वास्तव में इसे मुस्लिम धर्मतंत्र के साथ जोड़ रहे होते हैं।
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यक अधिकारों की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारा संविधान हमें समानता का अधिकार देता है जबकि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जाता है, इसलिए वहां अल्पसंख्यक अधिकारों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर राजनीतिक वर्ग इसमें फेल हो गया है तो यह मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह हमसे सवाल करे और पूछे कि क्या हम संविधान की भावना को बढ़ावा दे रहे हैं।
उनके इस सवाल पर राजदीप सरदेसाई ने सहमति जताते हुए कहा कि हमारी जिम्मेदारी है और हम यह पूछते रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप राजनीति साफ करिए और हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि अपनी जिम्मेदारी और बेहतरी के साथ निभा सकें।
केरल के राज्यपाल ने कहा, ” बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक शब्दों का इस्तेमाल कर वर्गीकरण करने का मतलब क्या है? मैं कभी अल्पसंख्यक शब्द का इस्तेमाल नहीं करता। आप इसका क्या अर्थ निकालते हैं, क्या मैं बराबर का अधिकार नहीं रखता हूं, मैं एक गौरवशाली भारतीय नागरिक हूं, जिसके पास अन्य नागरिकों के जैसे ही समान अधिकार हैं।”
खान ने कहा, “भारतीय सभ्यता को कभी भी किसी धर्म के आधार पर परिभाषित नहीं किया गया है, जबकि अन्य कई सभ्यताओं को धर्म द्वारा परिभाषित किया गया है। कई सभ्यताओं को जाति और भाषा द्वारा भी परिभाषित किया गया है।”
यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले कुछ दशकों में भारतीय राजनीति अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से बहुसंख्यकवाद की ओर बढ़ी है, खान ने दावा किया कि हमारे किसी भी ग्रंथ में ‘हिंदू’ शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। अपने मत के पक्ष में खान ने कुछ श्लोकों का उच्चारण भी किया।