शाह बानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद में पलटने के खिलाफ राजीव गांधी मंत्रिमंडल और कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने आरोप लगाया है कि हाल ही में समाप्त हुए संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इशारे पर काम किया है। उन्होंने कहा है कि तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाले बिल पर राज्यसभा में कांग्रेस ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कहने पर ही अवरुद्ध किया। मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधारों के धुर समर्थक माने जाने वाले खान ने कहा, “आप (राज्यसभा के सदस्य के तौर पर) अपनी शक्ति का इस्तेमाल एक संगठन ( मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) की जिद पूरा करने के लिए कर रहे हैं। आप कह सकते थे कि आपके (बोर्ड) विचारों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। यह गंभीर सवाल खड़े करता है। यह सदन की गरिमा को लेकर भी सवाल खड़े करता है।”

राज्यसभा टीवी को दिए एक साक्षात्कार में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कांग्रेस ने साल 1986 में शाह बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश को पलटने के लिए कानून बनाया था और अब उन्होंने उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के क्रम में बनाए जा रहे कानून में रुकावट पैदा की है। यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक नफे-नुकसान का मामला है।” मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 में तीन साल के सजा के प्रावधान का समर्थन करते हुए खान ने कहा कि सख्त सजा के प्रावधान से ही एक बार में तीन तलाक के आपराधिक कृत्य पर अंकुश लगाया जा सकता है।

बता दें कि राजीव गांधी सरकार ने शाहबानो केस में 1985 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मुस्लिम महिला (तलाक के अधिकार का संरक्षण) विधेयक-1986 लाकर पलट दिया था और तीन तलाक को जायज करार दिया था। आरोप है कि तब के कांग्रेसी और मौजूदा मोदी सरकार में मंत्री एम जे अकबर ने अपनी दलील और पैरवी से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलटवा दिया था। एक झटके में तीन तलाक के खिलाफ प्रस्तावित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण 2017) गुरुवार (28 दिसंबर) को लोकसभा में पास हो गया। इस बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने बिल के पक्ष में लंबी दलील दी थी।