Aravalli Hills Controversy: खनन से अरावली पर्वतमाला को संभावित खतरे को लेकर केंद्र सरकार की काफी आलोचना हो रही है। इस मामले का सुप्रीम कोर्ट सोमवार से स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई करने का फैसला भी लिया है। ऐसे में राजस्थान सरकार ने शहरी पहाड़ी इलाकों के बड़े हिस्से को कई तरह की “कम घनत्व वाली” गतिविधियों के लिए औपचारिक रूप से खोल दिया है। यह कदम शहरी क्षेत्रों में पहाड़ियों के संरक्षण के लिए आदर्श विनियम, 2024 के तहत उठाया गया है, जिसे राज्य सरकार ने पिछले साल पहली बार जारी किया था और अप्रैल 2025 में मंजूरी दी थी।

वर्ष 2018 के पर्वतीय संरक्षण मानदंडों के स्थान पर लागू किए गए इन विनियमों में ढलान के आधार पर पहाड़ियों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। इसमें 15 डिग्री से अधिक ढलान वाले क्षेत्रों (श्रेणी C) को विकास के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया है, जबकि 8 से 15 डिग्री के बीच ढलान वाली पहाड़ियों (श्रेणी B) को फार्महाउस, रिसॉर्ट, मनोरंजन पार्क, स्वास्थ्य और योग केंद्र, सौर ऊर्जा परियोजनाओं जैसी गतिविधियों के लिए आरक्षित किया गया है।

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राज्य सरकार ने क्या कहा?

सरकार द्वारा संरक्षण के अनुकूल घोषित श्रेणी B के क्षेत्रों में अरावली पर्वतमाला के वे महत्वपूर्ण हिस्से शामिल हैं जो शहरी सीमा के भीतर आते हैं। 8 डिग्री तक की ढलान वाली पहाड़ियों को श्रेणी ए में वर्गीकृत किया गया है, जहां विकास को मौजूदा शहरी नियोजन ढांचों के अनुरूप ही रखा गया है। सभी क्षेत्रों में सार्वजनिक उपयोगिता की अनुमति भी दी गई है। सरकार का कहना है कि राजस्थान के नए नियम संरक्षण और विनियमित विकास के बीच संतुलन बनाते हैं, विशेषज्ञों का कहना है कि श्रेणी बी की पहाड़ियों में अनुमत उपयोगों का विस्तार कम घनत्व वाले विकास की आड़ में उत्तर भारत की सबसे पुरानी पर्वत प्रणालियों में से एक के क्रमिक क्षरण का खतरा पैदा करता है।

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‘सकारात्मक सुझाव पर हो सकती है समीक्षा’

जब शहरी विकास एवं आवास मंत्री झाबर सिंह खारा से पूछा गया कि क्या ये नियम एफएसआई फार्मूले के विपरीत हैं, तो उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कुछ गतिविधियों की अनुमति (नियमों के तहत) दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। ऐसे में, यदि पहले लिए गए निर्णयों पर कोई सकारात्मक सुझाव आते हैं, तो उनकी समीक्षा की जा सकती है। दूसरी ओर खनन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अरावली पर्वतमाला के संबंध में जो कुछ भी हो रहा है, वह मुख्य रूप से खनन विभाग से संबंधित है; इसका शहरी विकास और आवास विभाग पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है।

2024 के नियमों के तहत कितनी अनुमति

2024 के विनियमों के तहत, श्रेणी बी में, कम से कम दो हेक्टेयर भूमि पर 20 प्रतिशत तक भूमि क्षेत्र में रिसॉर्ट विकसित करने की अनुमति दी गई है, जबकि धार्मिक, आध्यात्मिक और स्वास्थ्य केंद्रों को एक हेक्टेयर जितनी छोटी भूमि पर भी निर्माण की अनुमति है। फार्महाउसों को 5,000 वर्ग मीटर के न्यूनतम क्षेत्रफल के भीतर 500 वर्ग मीटर तक के क्षेत्र में निर्माण की अनुमति है, हालांकि ऊंचाई संबंधी प्रतिबंध लागू होंगे। श्रेणी बी क्षेत्रों में तीन मीटर तक पहाड़ी कटाई की भी अनुमति दी गई है, बशर्ते अनुमोदन और अनुपालन की शर्तें पूरी हों।

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सैद्धांतिक रूप से, पहाड़ी की चोटी पर निर्माण निषिद्ध है, हालांकि राज्य सरकार ने तकनीकी जांच के बाद प्राकृतिक रूप से समतल पहाड़ी चोटी वाले क्षेत्रों पर परियोजनाओं की अनुमति देने के लिए विवेकाधीन शक्तियां अपने पास रखी हैं।

राज्य सरकार के पास खास अधिकार

इन क्षेत्रों में निर्माण और भूमि उपयोग परिवर्तन अधिसूचित मास्टर प्लान विनियमों द्वारा नियंत्रित होते रहेंगे, जिससे प्रभावी रूप से ऐसे भूभाग को अन्य शहरी भूमि के समान माना जाएगा। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह वर्गीकरण अरावली की हल्की ढलान वाली तलहटी और संक्रमण क्षेत्रों को नियमित शहरी विकास के दायरे में ला सकता है, जिससे निर्मित मैदानों और संवेदनशील पहाड़ी प्रणालियों के बीच का अंतर कमजोर हो सकता है।

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श्रेणी ‘सी’ में 15 डिग्री से अधिक ढलान वाली पहाड़ियां शामिल हैं, जिन्हें विकास के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया है और उन पर निर्माण और अन्य गतिविधियों पर सामान्य रूप से प्रतिबंध है। हालांकि, नियमों में बिजली और जल आपूर्ति जैसी सार्वजनिक उपयोगिताओं के लिए अपवाद दिए गए हैं, और राज्य सरकार को व्यक्तिगत मामलों के महत्व के आधार पर “विशेष परिस्थितियों” में भूमि रूपांतरण या उपयोग की अनुमति देने का अधिकार भी दिया गया है।

2018 के पहाड़ी नियमों को उदयपुर स्थित झील संरक्षण समिति सहित कई अदालती मामलों का सामना करना पड़ा था। समिति के संयुक्त सचिव डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि पहाड़ियों पर किसी भी प्रकार का व्यावसायिक निर्माण बिलकुल नहीं होना चाहिए। आप कुछ पहाड़ी समुदायों को बेदखल नहीं कर सकते, लेकिन व्यावसायिक निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे 2024 के नियमों के खिलाफ फिर से अदालतों में जाने की योजना बना रहे हैं। अरावली हिल्स से संबंधित सभी खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें