कोरोना के बिना लक्षण वाले मरीजों पर चिकित्सकीय निगरानी रखते हुए घर में ही उनके इलाज में मदद के लिए देश में अपनी तरह का संभवत: पहला साइबर नवाचार किया गया है। इसके तहत स्थानीय निकाय की प्रचलित मोबाइल एप्लिकेशन को नए रूप में कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि यह ऐप महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में प्रशासन के आंख-कान की तरह काम करेगी।
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि रेड जोन में शामिल इंदौर जिले में कोविड-19 के प्रकोप से निपटने में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की आठ सदस्यीय विशेषज्ञ टीम प्रशासन की मदद में जुटी है। इस टीम के परामर्श के आधार पर इंदौर नगर निगम के ‘इंदौर 311’ ऐप में नए फीचर जोड़े गए हैं।
आइएमए की टीम के सदस्य डॉ. सुबोध चतुर्वेदी ने बताया, ‘वैसे तो यह मोबाइल ऐप शहर के लाखों लोग पहले ही इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन कोविड-19 की स्थिति की निगरानी वाले इसके नए फीचर बिना लक्षण वाले उन्हीं मरीजों के मोबाइल में दिखाई देंगे जिन्हें स्वास्थ्य विभाग ने उनके घर में ही पृथक रूप से रहकर इलाज की सलाह दी है।’ उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों को पल्स आॅक्सीमीटर नाम का उपकरण भी दिया जा रहा है। इस छोटे-से उपकरण के जरिए मरीज के शरीर में आॅक्सीजन का स्तर और उसकी नब्ज उसके घर में ही जांची जा सकती है।
चतुर्वेदी ने बताया, ‘पहले से तैयार प्रश्नावली के मुताबिक मरीज या उसके केयरगिवर (तीमारदार) को मोबाइल ऐप में हर रोज जानकारी दर्ज करनी होगी कि कहीं उसे 101 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा बुखार या सांस लेने में तकलीफ तो नहीं है? उसे कोविड-19 के सामान्य लक्षणों के आधार पर तैयार कुछ अन्य सवालों के जवाब भी देने होंगे।’ उन्होंने बताया कि मरीजों द्वारा ऐप में दर्ज जानकारी पर आइएमए के कंट्रोल रूम में तैनात डॉक्टर लगातार नजर रखेंगे और इसके मुताबिक उन्हें उचित परामर्श देंगे।
जरूरत पड़ने पर त्वरित प्रतिक्रिया दल (आरआरटी) मरीजों को उनके घरों से अस्पतालों में भिजवाएंगे। चतुर्वेदी ने बताया कि आपातकालीन स्थिति में मरीज या उसका तीमारदार ऐप में सहायता का लाल रंग वाला बटन दबाकर खुद भी चिकित्सकीय मदद बुला सकता है। अगर मरीज सरकार की हिदायतों का उल्लंघन करते हुए मोबाइल के साथ अपने घर के 100 मीटर के दायरे से बाहर निकलेगा, तो कंट्रोल रूम में तुरंत अलार्म बज उठेगा। ऐसे मरीजों को जीपीएस तकनीक की मदद से ढूंढकर दोबारा उनके घरों में पहुंचाया जा सकेगा।
इस बीच, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रवीण जड़िया ने बताया कि इंदौर जिले में अब तक कोविड-19 के 1,654 मरीज मिले हैं जिनमें से 79 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से करीब 50 फीसद मरीज ऐसे हैं जिनमें शुरूआत में इस महामारी के सामान्य लक्षण जैसे सर्दी-जुकाम, सूखी खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत नहीं थी। उन्होंने बताया, ‘सरकार के नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक कोविड-19 के बिना लक्षण वाले मरीजों को उनके घर में ही पृथक रूप से रहने की सलाह दी जा रही है।’
जड़िया ने बताया कि कोविड-19 के बिना लक्षण वाले हरेक मरीज के लिए एक तीमारदार भी तय किया जा रहा है, जो उसे जरूरी दवाइयां देते हुए उसका उसके घर में ही ख्याल रखेगा। यह तीमारदार नियमित अंतराल में मरीज के घर में ही उसकी सेहत के अलग-अलग सूचकांकों की जांच कर स्वास्थ्य विभाग को लगातार इसकी जानकारी भेजेगा। इस जानकारी के आधार पर तय किया जायेगा कि संबंधित मरीज को अस्पताल में भर्ती कराए जाने की जरूरत है या नहीं।
