वनतारा से जुड़े मामलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (SIT) ने गुजरात के जामनगर स्थित वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर को ‘क्लीन चिट’ दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस जांच दल का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि एसआईटी की विस्तृत जांच में कानून का कोई उल्लंघन नहीं पाया गया है। अदालत ने मामले में स्वतः संज्ञान कार्यवाही बंद कर दी। वहीं, वनतारा ने क्लीन चिट मिलने का स्वागत किया और कहा कि शीर्ष अदालत ने एसआईटी के निष्कर्षों को स्वीकार करके यह बता दिया है कि वनतारा के खिलाफ संदेह और आरोप निराधार थे।
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पी बी वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि अधिकारियों ने वनतारा में अनुपालन और नियामक उपायों के मुद्दे पर संतोष व्यक्त किया है। एसआईटी की रिपोर्ट शुक्रवार को प्रस्तुत की गई थी और शीर्ष अदालत ने सोमवार को इसका अवलोकन किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद एक विस्तृत आदेश पारित करेगी। शीर्ष अदालत ने भारत एवं विदेशों से जानवरों, विशेष रूप से हाथियों के अधिग्रहण के मद्देनजर कानूनों का पालन न करने के आरोपों पर वनतारा के खिलाफ तथ्यान्वेषी जांच करने के लिए 25 अगस्त को विशेष जांच दल का गठन किया था।
वनतारा के खिलाफ अनियमितताओं के आरोप पर सुनवाई
शीर्ष अदालत ने मीडिया और सोशल मीडिया में आई खबरों और गैर सरकारी संगठनों और वन्यजीव संगठनों की विभिन्न शिकायतों के आधार पर वनतारा के खिलाफ अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में चार सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। जांच समिति में शीर्ष न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर, उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र चौहान, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले और भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी अनीश गुप्ता शामिल थे।
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उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एसआईटी द्वारा 12 सितंबर को सौंपी गई रिपोर्ट का अवलोकन किया और कहा कि रिपोर्ट पर गौर करने के बाद वह एक व्यापक आदेश देगा। हालांकि, गुजरात का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वनतारा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने एसआईटी रिपोर्ट के विवरण को अपने आदेश में शामिल करने की पीठ की टिप्पणी पर आपत्ति जताई।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों ने वनतारा का दौरा किया
साल्वे ने दावा किया कि जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों ने वनतारा का दौरा किया तो केंद्र का पूरा स्टाफ उनकी निगरानी में था और उन्हें हर चीज दिखाई जा रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘जानवरों की देखभाल कैसे की जा रही है; आप इन जानवरों को कैसे रखते हैं, इसे लेकर कुछ औचित्य संबंधी चिंताएं हैं। इन्हें विकसित करने के लिए विशेषज्ञों पर भारी धनराशि खर्च की गई है और इसमें कुछ हद तक व्यावसायिक गोपनीयता भी है।’’
पीठ ने कहा कि वह अब और कोई विवाद नहीं होने देगी और मामले को बंद कर देगी। पीठ ने कहा, ‘‘हम किसी को भी ऐसी आपत्तियां उठाने की अनुमति नहीं देंगे, हम समिति की रिपोर्ट से संतुष्ट हैं। अब, हमारे पास एक स्वतंत्र समिति की रिपोर्ट है, उन्होंने हर चीज का अध्ययन किया है, उन्होंने विशेषज्ञों की मदद ली है। उन्होंने जो भी प्रस्तुत किया है, हम उसी के अनुसार कार्य करेंगे और सभी अधिकारी सिफारिशों और सुझावों के आधार पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे।’’
वकील के हस्तक्षेप पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
एक वकील ने जब इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति मांगी और कहा कि उनकी याचिका वनतारा में एक मंदिर के हाथी को लाए जाने से संबंधित है तो पीठ ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘देखिए, कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो शायद हमें लगता है कि इस देश का गौरव हैं। हमें इन सभी मुद्दों को बेवजह उछालकर शोर-शराबा नहीं करना चाहिए। देश में कुछ अच्छी चीजें होने दीजिए।’’ शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमें इन सभी अच्छी चीज़ों पर खुश होना चाहिए, अगर हाथी का अधिग्रहण कानून के मुताबिक है तो इसमें क्या मुश्किल है? देखिए, अगर कोई हाथी हासिल करना चाहता है और वह कानून के प्रावधानों का ध्यान रखते हुए अधिग्रहण करता है, तो इसमें क्या गलत है?’’
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शीर्ष अदालत ने 25 अगस्त को एसआईटी को वनतारा के खिलाफ स्थानीय और विदेशी जानवरों, खासकर हाथियों, के अधिग्रहण में कानूनों का अनुपालन न करने के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था। हालांकि, आदेश में इस मामले पर कोई राय व्यक्त नहीं की गई। शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को याचिकाकर्ता सी आर जया सुकिन द्वारा दायर याचिका को पूरी तरह से अस्पष्ट बताया जिसमें वनतारा में कथित तौर पर कैद किये गए हाथियों को उनके मालिकों को वापस करने के लिए एक निगरानी समिति गठित करने का अनुरोध किया गया था।
इस बीच, वनतारा ने क्लीन चिट मिलने का स्वागत किया और कहा कि शीर्ष अदालत ने एसआईटी के निष्कर्षों को स्वीकार करके यह बता दिया है कि वनतारा के खिलाफ संदेह और आरोप निराधार थे। वनतारा ने एक बयान में कहा, “अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ, हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से नियुक्त एसआईटी के निष्कर्षों का स्वागत करते हैं। एसआईटी की रिपोर्ट और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ने स्पष्ट कर दिया है कि वनतारा के पशु कल्याण मिशन के खिलाफ संदेह और आरोप निराधार थे।”
(इनपुट-भाषा)