Anti Paper Leak Law: पेपर लीक का मुद्दा हाल के कुछ वर्षों में छात्रों के भविष्य के लिए खतरा बन गया है। हाल में हुए नीट एग्जाम का पेपर लीक और रिजल्ट में धांधली होने के विवाद ने एक बार फिर छात्रों को उग्र कर दिया। छात्रों के निशाने पर एग्जाम कराने वाली संस्था NTA है, जिसके चलते शिक्षा मंत्रालय ने NET का पेपर एक दिन बाद कैंसिल कर दिया। इन सबके बीच पेपर लीक विरोधी कानून की आधिसूचना जारी कर दी गई है।
पेपर लीक की बढ़ती घटनाओं के बीच फरवरी 2024 में इस कानून का विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया था। वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति और अधिसूचना जारी होने के बाद यह कानून अब प्रभावी हो गया है। नीट विवाद के चलते देश भर के कई शहरों में जारी छात्रों के विरोध प्रदर्श के बीच इस कानून का लागू होना काफी अहम है।
कानून के लागू होने को लेकर उठे थे सवाल
केंद्र सरकार द्वारा पारित कानून का नाम लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 है। गौरतलब है कि संसद में विधेयक पारित हो गया था लेकिन पेपर लीक के मामलों के बाद खूब बवाल मच रहा है, जिसके चलते सवाल उठने लगे थे कि आखिर यह कानून लागू कब होगा। इन विवादों के बीच केंद्र ने शुक्रवार शाम को इस कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
कानून में क्या-क्या हैं प्रावधान?
पेपर लीक विरोधी इस कानून के तहत, पेपर लीक करने या उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ करने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी आरोपी को कम से कम तीन साल की सजा होगा, जिसे बढ़ाकर अधिकतम 5 साल भी किया जा सकता है। इसके अलावा आरोपी से 10 लाख रुपये का जुर्माना भी वसूला जाएगा। बता दें कि पेपर लीक कानून को गैर-जमानती बनाया गया है।
सर्विस प्रोवाइडर्स की भी खैर नहीं
इतना ही नहीं, अगर किसी सर्विस प्रोवाइडर की इसमें पाई जाती है, या उसे बस इस बात की जानकारी भी होती है, और वह सार्वजनिक नहीं करता है, तो ऐसे सर्विस प्रोवाइडर्स को भी नहीं बख्शा जाएगा। साथ ही 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। वहीं केस की जांच अगर इस नतीजे पर पहुंचती है कि सर्विस प्रोवाइडटर्स के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने अपराध की अनुमति दी थी, या वह अपराध में शामिल था, तो उसे भी कम से कम 3 और अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है।
ऐसे में दोषी पाए गए उस सर्विस प्रोवाइडर पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसके अलावा अगर परीक्षा प्राधिकरण यानी एग्जामिनेशन अथॉरिटी या फिर सर्विस प्रोवाइडर संगठित करता है, तो जेल की सजा की अवधि न्यूनतम पांच साल और अधिकतम दस साल तक की हो जाएगी, साथ ही इसमें भी दोषी को 1 करोड़ रुपये का जुर्मान देना होगा।
बता दें कि गुरुवार को ही केद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने बयान में कहा था कि पेपर लीक रोकने और नकल खत्म करने के लिए केंद्र सरकार लोक परीक्षा संबंधी कानून लाई है, जिसमें कड़े प्रवाधान हैं, और हम इसे बारीकी से लागू करेंगे। शिक्षा मंत्री के आक्रामक बयान के एक दिन बाद ही एंटी पेपर लीक लॉ की अधिसूचना जारी होने के साथ ही यह कानून प्रभावी हो गया है।