सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई (CJI GAVAI) ने कुछ ही दिन पहले भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। यह मूर्ति मध्य प्रदेश में यूनेस्को की विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर का एक हिस्सा जावरी मंदिर में आता है। सीजेआई ने इसे ‘प्रचार हित याचिका’ कहा था। अब कथावाचक अनिरुद्धाचार्य इस मामले को लेकर बिना नाम लिए सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई को घेरा है।

तुम क्यों कुर्सी तोड़ रहे हो?- अनिरुद्धाचार्य

अनिरुद्धाचार्य ने एक कथा के दौरान कहा, “एक जज ने कहा कि हम क्यों निर्णय दें, तुम्हारे भगवान में इतनी ताकत है तो वह खुद कर लें। जज साहब से पूछना कि सब काम भगवान ही करेंगे तो तुम क्यों कुर्सी तोड़ रहे हो, तुम्हें जज बनाया गया है ताकि तुम न्याय करो। अब तुम हिंदू सनातन संस्कृति का अपमान कर रहे हैं और तुम कहते हो कि तुम्हारे भगवान में शक्ति है तो खुद बना ले मंदिर। अब भगवान तो सब कर सकते हैं, रावण को भी प्रगट होकर मार सकते हैं, हिरण्यकश्यप की छाती भी फाड़ सकते हैं।”

अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि भगवान अधर्मियों को खत्म करने के लिए आते हैं लेकिन भगवान को लगता है कि अभी तुम लोग कुर्सी पर बैठे हो तो तुम लोग ही करो, हम लोग को न आना पड़े और इसीलिए भगवान आ नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्याय की गद्दी पर बैठे हो, जज हो तो वहां केवल रोटी तोड़ने गए हो कि न्याय करने गए?

‘जाओ और भगवान से ही कुछ करने के लिए कहो’, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने किस मामले में की ये टिप्पणी?

अनिरुद्धाचार्य ने SC को घेरा

कथा में मौजूद दर्शकों से अनिरुद्धाचार्य ने पूछा कि आप लोग बताइए वहां पर वह क्यों बैठे हैं? न्याय करने गए हैं कि नहीं? सनातन भारत में रहकर यह लोग बड़ी-बड़ी कुर्सी पर बैठकर भी सनातन के विरुद्ध बात कर रहे हैं। अनिरुद्धाचार्य ने पूछा कि क्या किसी मुस्लिम धर्मगुरु के बारे में कोई जज ऐसी बात बोल सकता था? क्या मस्जिद या अल्लाह के खिलाफ बोल सकता था? सोचिए इतना बड़ा जज भगवान विष्णु का अपमान कर रहा है, उनके बारे में यह सब बोल रहा है क्योंकि हिंदू लोग अपने भगवान का अपमान सह लेते हैं।

अनिरुद्धाचार्य ने कहा, “इसलिए इतने सारे हिंदुओं के मंदिर तोड़ दिए गए। किसके भरोसे बैठे हो कि जज न्याय करेगा? कैसे न्याय करेगा, जज उल्टा कह रहा है, तुम्हारे भगवान में ताकत हो तो वह कर लें। पक्ष लेने की बात भी नहीं थी, केवल मूर्ति खंडित थी और वह तोड़ी गई थी, उसको सही करने की बात थी। खजुराहो के पास की घटना है। इस देश में सनातन के पक्ष में ना कोई कानून रहा ना कोई व्यक्ति रहा, केवल भगवान रहे हैं।”