पति-पत्नी के वैवाहिक विवाद में उनके 27 साल के बेटे की व्यथा सुन कर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भी हैरान रह गए। इस बेटे ने अपने दर्दनाक बचपन को याद करते हुए न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ को बताया, मुझे पीटा गया। मैं घंटों बाथरूम में बंद रहा। मैं अपनी मां से बात नहीं करना चाहता। इस युवक के माता-पिता अलग रहते हैं और वे दो दशक से तलाक के मुकदमे में उलझे हुए हैं।
माता-पिता और बेटे से अदालत कक्ष में 45 मिनट से अधिक समय तक बात करके न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बेटे को अपनी मां से बात करने के लिए मनाने की कोशिश की। इस विवाद में पति पिछले दो दशक से अपनी पत्नी से तलाक का अनुरोध कर रहा है और उसकी पत्नी इसका विरोध कर रही है। दरअसल, मां का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने जब जजोें से कहा कि उसे अपने बेटे से बात करने की अनुमति दी जाए क्योंकि बेटा अपने पिता के साथ रहता है। तो न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बेटे को अपनी मां से बात करने को कहा।
अदालत में व्यक्तिगत रूप से मौजूद बेटे ने जजों को बताया कि उसकी मां सात साल की उम्र में उसे पीटती थी और उसे बाथरूम में बंद कर देती थी। अपने बचपन को याद करते हुए बेटे ने कहा, अपनी मां से बात करके मेरी दर्दनाक यादें वापस लौट आएंगी। कौन सी मां अपने सात साल के बेटे को पीटती है? जब वह बाहर जाती थी तो मुझे घंटों बाथरूम में बंद कर दिया जाता था। मेरे पिता ने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया। मां के वकील ने कहा कि बेटा सोची समझी कहानी बता रहा है और ऐसा कुछ नहीं हुआ है। पीठ ने कहा कि वह 27 साल का युवक है, उसकी अपनी समझ है और उसे सोची समझी कहानी बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
पति की ओर से पेश वकील अर्चना पाठक दवे ने कहा कि बच्चे की मां ने अपने बेटे का संरक्षण लेने के लिए कभी अदालत का दरवाजा नहीं टखटाया। दवे ने कहा कि उनका मुवक्किल केवल यह चाहता है कि इस विवाद को समाप्त किया जाए और अनुच्छेद 142 के तहत शक्ति का प्रयोग करके अदालत द्वारा तलाक दिया जाए। मां के वकील ने कहा कि वह तलाकशुदा होने के कलंक के साथ नहीं जीना चाहती। इस जोड़े ने 1988 में शादी की थी और 2002 में पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक मांगा और दोनों अलग रहने लगे।