छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने करीब साढ़े तीन सौ लोगों को मिल रहे इमरजेंसी पेंशन को बंद करने का फैसला किया है। इससे पेंशनधारी बुजुर्गों में भारी निराशा और गुस्सा है। पेंशन पाने वालों में 59 साल की विधवा जो कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करती हैं, से लेकर 78 साल के बुजुर्ग तक शामिल हैं। बुजुर्ग का कहना है कि कांग्रेस सरकार के इस कदम से वो फिर से ओल्ड एज होम जाने को विवश हैं। इमरजेंसी पेंशन की शुरुआत साल 2008 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने किया था। इसके तहत इमरजेंसी के दौरान मीसा एक्ट (मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी) के तहत जो गिरफ्तार हुए थे या जिन्हें हिरासत में रखा गया था, उन्हें बीजेपी सरकार ने पेंशन देने की शुरुआत की थी।

बीजेपी सरकार ने 2008 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम लॉन्च किया था। नियमों के मुताबिक जिन लोगों ने तीन महीने जेल में गुजारे हों, उन्हें 10,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन देने का प्रावधान किया गया था। इसके अलावा जिन लोगों ने 6 महीने तक मीसा एक्ट में जेल काटी, उन्हें 15,000 रुपये प्रति माह पेंशन की व्यवस्था की गई थी। जिन लोगों ने 6 माह से ज्यादा जेल काटी उन्हें 25,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिल रहा था। जिन लोगों की मौत हो चुकी है, उनकी विधवाओं को पेंशन राशि का आधा दिया जा रहा था।

जनवरी 2019 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सत्ता में आने के तुरंत बाद सरकार ने इन पेंशनधारियों को भुगतान रोक दिया, जिसके बाद लाभार्थियों ने अदालत का रुख किया। हालांकि, अभी भी मामला अदालत में विचाराधीन है लेकिन 23 जनवरी को राज्य सरकार ने इस योजना को रद्द कर दिया। राज्य के पिरहिद में ऐसे पेंशनरों की संख्या 18 है, जिन्हें मीसा के तहत हिरासत में लिया गया था। जांजगीर चंपा जिले के पिरहिद गाँव के 59 वर्षीय शांति चंद्र उन्हीं लोगों में से एक हैं जो अब खुद को असहाय महसूस कर रही हैं। उनके पति जलेश्वर चंद्र इमरजेंसी के दौरान गांव के उन 17 लोगों के साथ जेल में बंद थे, जिन्हें भी पेंशन बंद कर दिया गया है।

अपने गांव से 10 किलोमीटर दूर कन्स्ट्रक्शन साइट पर रोजाना काम करने वाली शांति का कहना है कि वह जेल में बंद किसी से शादी करके खुश नहीं थी, हालाँकि गाँव में उनका (पति) हमेशा सम्मान किया जाता था। उन्होंने कहा, “मैंने पूरी जिंदगी अपने पति को आपातकाल के दौरान विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने और जेल में बंद होने पर दुख जताती रही और ताने मारती रही लेकिन उनकी मौत के बाद सरकार ने मुझे 2008 में पेंशन का पैसा देना शुरू कर दिया। इससे मुझे मेरी दो बेटियों को स्कूल भेजने में मदद मिली। अब सरकार उस पैसे को कैसे रोक सकती है?”