वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा उपाध्यक्ष का पद स्वीकार करने की संभावना नहीं है क्योंकि पार्टी आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग पूरी होने तक भाजपा नीत राजग सरकार के साथ खड़े हुए नहीं दिखना चाहती है। वाईएसआर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने रविवार को पीटीआई-भाषा से कहा कि उनकी पार्टी सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों से ही समान दूरी रखना चाहती है। वाईएसआर कांग्रेस 17वीं लोकसभा में चौथी सबसे बड़ी पार्टी है। उसके 22 सदस्य हैं।

नेता ने कहा, ‘‘ आंध प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने के लिए विपक्ष, खासकर, कांग्रेस भी जिम्मेदार है। इसने राज्य का विभाजन किया लेकिन इसे विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया। लिहाजा हम उनसे भी समान दूरी रखेंगे।’’ बहरहाल, उनकी पार्टी सत्तारूढ़ दल को देश हित वाले कुछ मुद्दों पर समर्थन दे सकती है। लोकसभा उपाध्यक्ष पद पर रूख को लेकर वाईएसआर कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि कोई सीधी या औपचारिक पेशकश नहीं आई है लेकिन संकेत दिए गए हैं।

पार्टी के नेता ने कहा, ‘‘पार्टी को यह पद नहीं चाहिए, क्योंकि इससे सत्तारूढ़ दल के साथ खड़ा हुआ देखा जाएगा। पार्टी केंद्र के आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने तक यह (केंद्र के साथ खड़े दिखना) नहीं चाहती है।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी ने अपने रूख से भाजपा नेतृत्व को अवगत करा दिया है। सूत्रों ने यह भी कहा कि लोकसभा उपाध्यक्ष का पद मात्र औपचारिक है जो उनके बहुत ज्यादा काम का नहीं है।

इससे एक दिन पहले तेलुगु देशम पार्टी ने कहा था कि उसके चार राज्यसभा सदस्यों का भाजपा में शामिल होना स्पष्ट रूप से दल-बदल है। पार्टी ने इसे ‘‘अनैतिक और अलोकतांत्रिक’’ बताया। वाईएसआर कांग्रेस ने कहा कि चार सांसदों का कृत्य तेदेपा और भाजपा के बीच ‘‘पूरी तरह मैच फिक्सिंग’’ है। पार्टी अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू के आवास पर तेदेपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई जहां विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। तेदेपा की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि पार्टी की आंध्रप्रदेश इकाई के अध्यक्ष के. कला वेंकट राव ने बैठक की अध्यक्षता की। इसमें बताया गया कि यूरोप में छुट्टियां मना रहे नायडू ने फोन पर पार्टी नेताओं से बात की और राज्य में राजनीतिक गतिविधियों पर चर्चा की।