आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) शरद अरविंद बोबडे से सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस एनवी रमना के खिलाफ शिकायत की है। जगनमोहन ने सीजेआई को इस संबंध में एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की सिटिंग को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, इनमें कुछ सम्मानीय जजों के रोस्टर भी शामिल हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कुल 8 पन्नों का पत्र सीजेआई के नाम पर लिखा है। इसमें आरोप लगाया गया है कि जस्टिस रमना की टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के साथ करीबी हैं और उनके इशारे पर वाईएसआर कांग्रेस की सरकार गिराना चाहते हैं। साथ ही जस्टिस रमना की दो बेटियों के खिलाफ अमरावती में सवालिया तरीके से जमीन लेन-देन के मामले में एंटी-करप्शन ब्यूरो की ओर से बैठी जांच का भी जिक्र किया गया है। यह लेन-देन अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी घोषित किए जाने से किए गए थे।

सीजेआई को यह चिट्ठी 6 अक्टूबर को लिखी गई थी और इसे हैदराबाद में मीडिया के सामने शनिवार को जगनमोहन के प्रमुख सलाहकार अजेय कल्लम की तरफ से रिलीज किया गया। इस मामले में ‘द संडे एक्सप्रेस’ ने सुप्रीम कोर्ट के महासचिव से जानकारी मांगी, हालांकि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।

चिट्ठी में उन मौकों का भी जिक्र किया गया है, जब तेलुगुदेशम पार्टी से जुड़े केसों को कुछ सम्मानीय जजों की सौंपा गया। इसके अलावा इसमें कहा गया, “मई 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सत्ता पर बैठने के बाद से जबसे चंद्रबाबू नायडू की सरकार की ओर से जून 2014 से लेकर मई 2019 के बीच की गई सभी तरह की डीलों की जांच के आदेश दिए गए हैं, तबसे जस्टिस एनवी रमना राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित करने में जुटे हैं।”

सीएम ने आरोप लगाया है कि जमीन लेन-देन को लेकर राज्य के पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलपति श्रीनिवास पर जो जांच बैठी, उस पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया, जबकि एंटी-करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ एफआईआर तक दायर की थी। बता दें कि 15 सितंबर को ही हाईकोर्ट ने मीडिया को एसीबी की तरफ से पूर्व एडवोकेट जनरल पर दर्ज की गई एफआईआर की डिटेल्स रिपोर्ट करने से रोक दिया था। यह एफआईआर श्रीनिवास पर अमरावती में जमीन खरीद को लेकर दर्ज हुई थी।