अनंतनाग में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए भारतीय सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह को शुक्रवार को अंतिम विदाई दी गई। कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर शुक्रवार सुबह मुल्लांपुर में उनके आवास पर लाया गया, जहां पहले से मौजूद सैकड़ों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह के परिवार में उनकी मां, पत्नी, दो साल की बेटी और छह साल का बेटा है। कर्नल मनप्रीत के बेटे ने फौजी वर्दी पहन उन्हें सैल्यूट कर अंतिम विदाई दी।

नए घर को लेकर उत्साहित थे मेजर आशीष, पहुंचा पार्थिव शरीर

अनंतनाग में शहीद हुए मेजर आशीष का भी शुक्रवार दोपहर अंतिम संस्कार किया। उनका पार्थिव शरीर शुक्रवार सुबह पानीपत स्थित उनके आवास पर लाया गया। यहां से उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव बिंझौल गांव ले जाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को उनके घर से उनके पैतृक गांव ले जाने में करीब तीन घंटे का समय लगा। उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों लोग सड़कों पर खड़े हुए थे।

मेजर आशीष इस साल अक्टूबर में अपने घर में शिफ्ट होने वाले थे। उनका परिवार किराया के घर में रह रहा था। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग सुबह ही उनके घर पर पहुंचे थे। मेजर आशीष का पार्थिव शरीर घर पर पहुंचते ही उनके परिवार के लोग बेसुध हो गए। मेजर आशीष को श्रद्धांजलि देने के लिए बहुत बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे भी सड़कों पर दिखाई दिए। उन्होंने हाथों में तिरंगे झंडे थाम रखे थे और लगातार देशभक्ति नारे लगा रहे थे।

पिता के इकलौते बेटे थे आशीष

मेजर आशीष अपने पिता के इकलौते बेटे थे। वो अपनी पीछे अपने माता-पिता, पत्नी और ढाई साल की बच्ची को छोड़ गए। आशीष के पिता नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड में क्लर्क थे। आशीष की तीन बहनें भी हैं। आशीष के स्कूल के दिनों के दोस्त रवि मान बताते हैं कि वो हमेशा खुश रहते थे। स्कूल के दिनों में वो बहुत प्रतिभाशाली और मेहनती थे। क्लास 12 में वो स्कूल में हेड चुने गए थे। 12वीं के बाद उन्होंने बी.टेक चुनी और बाद में सेना में चले गए। हम लगातार टच में रहते थे। रवि बताते हैं कि उन्हें इसी साल स्वतंत्रता दिवस पर सेना मेडल दिया गया था। वो मई महीने में अपनी पत्नी के भाई की शादी में हिस्सा लेने आए थे।