Delhi Anaj Mandi fire: रविवार को दिल्ली के अनाज मंडी की एक फैक्ट्री में लगी आग में जान गंवाने वाले 43 लोगों में पांच नाबालिग थे। अधिकारियों ने आशंका जताई है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। इनमें से बिहार के समस्तीपुर के एक गांव का रहने वाला 13 वर्षीय महबूब पिछले छह महीनों से यहीं रह रहा था। यहां आवासीय भवन में अवैध रूप से चल रहे कारखाने में वह वह 500 रुपए प्रति महीने पर बैग बनाने का काम करता था। महबूब के रिश्तेदार मोहम्मद हकीम ने बताया कि वह अभी सीख रहा था। वह नियमित तनख्वाह पर नहीं था। उन्होंने बताया कि वह पास के होटल में खाना खाता था और यहीं रहता था।
मोबाइल की फोटो से हुई पहचान : हकीम ने बताया, यहां इस माहौल में कोई काम करना नहीं चाहता, लेकिन महबूब, जो 31 दिसंबर को 14 साल का हो जाता, के पास कोई और रास्ता नहीं था। उसका परिवार बहुत गरीब है। उसके पिता बिहार में मजदूरी करते हैं। उसका परिवार जानता था कि यह काम उसके लिए मुश्किल है। हरी नगर में रहने वाले हकीम के मुताबिक फैक्ट्री के पास ही रहने वाले एक व्यक्ति ने उससे संपर्क कर आग के बारे में बताया। हकीम ने लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में मृतकों के शव में से महबूब को पहचाना। 13 वर्षीय महबूब की फोटो उसके मोबाइल में थी।
Hindi News Today, 09 December 2019 LIVE Updates: देश-दुनिया की हर खबर पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक
अस्पताल में रहा अफरातफरी का माहौल : रविवार की रात तक जिनका पता नहीं चल पाया उनमें समस्तीपुर से आया 15 वर्षीय सहमत भी था, जो महबूब के साथ ही काम करता था। उसका एक रिश्तेदार सोनीपत से उसकी खोज के लिए यहां आया। परिवार के पास कोई फोन भी नहीं है। सहमत के पिता मोहम्मद ऐनुल ने बताया, “अस्पताल में अफरातफरी का माहौल है। काफी लोग कामधंधे के लिए अपने गांव छोड़ देते हैं। हम गरीब है और कोई रास्ता नहीं है।”
मरने से पहले दोस्त को किया फोन : लोक नायक अस्पताल में फुरकान सलीम ने बताया कि कैसे उनके 32 वर्षीय चचेरे भाई मुशर्रफ अली ने अपने दोस्त शोभित को फोन किया और उसे अपने परिवार और बच्चों की देखभाल करने के लिए कहा, क्योंकि वह अंतिम सांस ले रहा था। फोन पर सात मिनट की बातचीत के दौरान अली ने सिसकियां लेते हुए कहा, “भैया खत्म होने वाला हूं आज मैं, टाइम कम बचा है, भागने का रास्ता नहीं है। मेरे घर का ध्यान रखना। उनके लिए आप ही सबकुछ हो। मर भी जाऊंगा तो वहीं रहूंगा।”