मशहूर पंजाबी साहित्यकार अमृता प्रीतम का आज 100वां जन्मदिवस है। अमृता प्रीतम को कई राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनकी याद में लुधियाना के पंजाबी भवन में ‘अमृता प्रीतम शताब्दी राष्ट्री सेमिनार’ का आयोजन किया गया। बता दें कि इस कार्यक्रम में काफी कम संख्या में लोग शामिल हुए और पंजाबी भवन की आधी से ज्यादा सीटें खाली रहीं। इस कार्यक्रम में सुबह के सत्र में (दोपहर 1 बजे तक लिखित एंट्री के तहत) सिर्फ 88 लोग पहुंचे। कार्यक्रम में मशहूर पंजाबी साहित्यकार और पदमश्री श्री डॉक्टर सुरजीत पातर भी शामिल हुए और उन्होंने अमृता प्रीतम के जीवन और काम पर चर्चा की।
बता दें कि इस कार्यक्रम का आयोजन पंजाबी साहित अकेडमी और पंजाबी अकेडमी, दिल्ली द्वारा किया गया। सूत्रों के अनुसार, पंजाबी साहित अकेडमी के सिर्फ 10-12 सदस्यों ने ही इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जबकि इस अकेडमी के 2000 सदस्य हैं और लुधियाना में ही 300 रजिस्टर्ड सदस्य हैं। पंजाबी साहित अकेडमी का दावा है कि वह पंजाबी लेखकों की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी संस्था है।
एक सदस्य ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि ‘जिस दिन वोटिंग होती है, सभी लोग आते हैं, लेकिन यदि पंजाबी भाषा और साहित्य से संबंधित कोई कार्यक्रम होता है तब नहीं आते और फिर हम कहते हैं कि पंजाबी (भाषा) मर रही है।’ पंजाबी यूनिवर्सिटी में पंजाबी भाषा के हेड ऑफ डिपार्टमेंट और पंजाबी साहित अकेडमी के महासचिव प्रोफेसर सुरजीत सिंह का कहना है कि ‘हमारी अकेडमी के ही 10-12 लोग मौजूद थे। यह बेहद शर्मनाक है। हम लोगों से इसमें शामिल होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं, जब साहित्यिक दुनिया से जुड़े लोग ही अमृता प्रीतम के 100 साल के जश्न में शामिल नहीं हो रहे हैं?’
वहीं पंजाबी साहित अकेडमी के अध्यक्ष रविंदर सिंह बाथल का कहना है कि हमने दुनियाभर में 400 लोगों को निमंत्रण भेजा था, यदि इसके बावजूद भी लोग नहीं आते हैं तो हम इसमें क्या कर सकते हैं। खैर..यह कोई मेला नहीं था, जहां हजारों लोग इकट्ठा हों। सुरजीत सिंह पातर ने कहा कि यदि यह कोई संगीत का कार्यक्रम या मनोरंजक कार्यक्रम होता तो ज्यादा लोग आते। हम लोग अमृता के लिए चंडीगढ़ में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन करेंगे।