इंटरनेशनल राइट्स वाचडॉग संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने हाल ही में भारत सरकार पर यह आरोप लगाते हुए देश में अपना काम बंद कर दिया था कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार उनके पीछे पड़ी है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के इस फैसले पर कई देशों ने प्रतिक्रिया दी थी और इस पर चिंता जाहिर की थी। अब इस पर भारतीय गृह मंत्रालय ने चेताया है और स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन एक्ट (FCRA) का उल्लंघन किया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने आलोचकों को चेताते हुए कहा कि “सभी एनजीओ, जिस तरह वह अन्य देशों जैसे अमेरिका और यूरोपीय संघ में सभी कानूनों का पालन करते हैं, ऐसे में उनसे उम्मीद की जाती है कि वह हमारे भी सभी कानूनों का पालन करेंगे, जिसमें विदेश से मिलने वाले चंदे से संबंधित कानून भी शामिल है। हम उम्मीद करते हैं कि अन्य सरकारें भी भारतीय कानूनों में किसी भी तरह का दखल नहीं देंगे।”

गृह मंत्रालय ने कहा है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया भारत में मानवाधिकार संबंधी काम करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन इसे स्थानीय राजनीति चर्चाओं या भारतीय कानूनों में दखल नहीं देना चाहिए।

बता दें कि अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देशों ने एमनेस्टी इंडिया के भारत में अपना काम बंद करने के फैसले पर चिंता जाहिर की थी। इसके अलावा कई अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाएं भी एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के समर्थन में आ गई हैं।

ब्रिटेन और यूरोपीय संघ द्वारा इस मामले को भारतीय विदेश मंत्रालय के सामने भी उठाया गया है। वहीं अमेरिकी अधिकारियों का भी कहना है कि वह इस मामले पर नजर रखे हुए हैं। अमेरिका के यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम नामक संस्था ने भी इस पर अपनी चिंता जाहिर की है।

ह्युमन राइट वॉच, ग्लोबल इंडियन प्रोग्रेसिव अलायंस, इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स, हिन्दूज फॉर ह्युमन राइट्स और साउथ एशियन फॉर ह्युमन राइट्स आदि 15 संस्थाओं ने भी एमनेस्टी के समर्थन में अपनी आवाज उठायी है।

बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत में काम बंद करने का ऐलान करते हुए इसके एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अविनाश कुमार ने कहा था कि “बीते दो साल से एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और अब बैंक खाते फ्रीज दुर्घटनावश नहीं हुए हैं। सरकारी एजेंसियां जिनमें ईडी भी शामिल है, लगातार उत्पीड़न कर रहे हैं। दिल्ली दंगों और जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों का जिस तरह से उल्लंघन हुआ, उसके लिए सरकार और दिल्ली पुलिस की जवाबदेही तय करने की मांग का यह नतीजा है।”