गृह मंत्री अमित शाह ने सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में कई महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने कहा है कि वो दो साल तक गुजरात से बाहर रहे, क्योंकि भारत के इतिहास में किसी की जमानत याचिका कभी दो साल तक नहीं चली। सुनवाई के दौरान जस्टिस आलम ने कहा था कि गुजरात के गृह मंत्री होने के नाते शाह सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं। शाह ने आगे कहा कि जस्टिस आलम की बात सुनने के बाद मेरे वकील ने कहा कि अगर आपको यही डर है, तो जमानत याचिका पर फैसला होने तक हमारे मुवक्किल गुजरात से बाहर रहेंगे। इसके साथ ही शाह ने कई और भी मामलों को लेकर अपनी बात रखी है।
न्यूज एजेंसी एएनआई की पत्रकार स्मिता प्रकाश द्वारा अमित शाह के किए गए इंटरव्यू में प्रश्न किया कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति आफताब आलम के उनके आवास पर हस्ताक्षर लेने आने की मीडिया रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा, ‘आफताब आलम की कृपा से मेरी जमानत याचिका 2 साल तक चली। ज्यादा से ज्यादा जमानत याचिका 11 दिन तक चलती है।’
11 दिन की बजाय 2 साल चली जमानत याचिका
अमित शाह ने आगे कहा, ‘जस्टिस आफताब आलम मेरे घर कभी नहीं आए और ऐसी जरुरत भी नहीं पड़ी थी। उन्होंने रविवार को एक विशेष अदालत लगाई और मेरी जमानत याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान जस्टिस आलम ने कहा कि गृह मंत्री होने के नाते अमित शाह सबूतों को प्रभावित करेंगे। इसलिए मेरे वकील ने कहा कि अगर आपको यही डर है, तो जमानत याचिका पर फैसला होने तक हमारे मुवक्किल गुजरात से बाहर रहेंगे। ये मैंने स्टेटमेंट लिया, ये मेरा फैसला था। मैं दो साल राज्य से बाहर रहा क्योंकि भारत के इतिहास में किसी की जमानत याचिका कभी दो साल तक नहीं चली। आफताब आलम की कृपा से मेरी जमानत याचिका 2 साल तक चली। ज्यादा से ज्यादा जमानत याचिका 11 दिन तक चलती है।’
न्यायमूर्ति पारदीवाला के फैसलों से असमंजस में सुप्रीम कोर्ट, सीजेआई बीआर गवई को करना पड़ा हस्तक्षेप
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शाह जिस मामले की बात कर रहे हैं ये पूरा मामला साल 2005 में गुजरात के गांधीनगर में हुए मुठभेड़ में अपराध जगत का सरगना रहा सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसर बी को मार डाला गया था। इसी मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री की सरकार में गृह मंत्री रहे अमित शाह को साल 2010 में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद शाह को तीन महीने के लिए अहमदाबाद की साबरमती जेल में भी रहना पड़ा था। इसके साथ ही शाह ने जुलाई 2011 में मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया था। शाह पर सीबीआई ने आरोप लगाया था कि वो मुठभेड़ की साजिश के सूत्रधार थे।
इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान का किस्सा अमित शाह ने अपने इस इंटरव्यू में बताया है। वहीं इस मुठभेंड़ मामले में आगे चलकर शाह को सीबीआई की ओर से क्लीन चिट मिली।