भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार (21 अगस्त) कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्रवाद पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं और राष्ट्रवाद के खिलाफ ‘दुष्प्रचार’ को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं माना जा सकता है। भाजपा की ‘तिरंगा यात्रा’ और ‘बलिदान स्मरणे’ अभियान के तहत यहां मेंगलुरु विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्रवाद पर सवाल उठाए जा रहे हैं।’ शाह ने कहा, ‘कुछ लोग सोशल मीडिया पर प्रचार कर रहे हैं कि राष्ट्रवाद जरूरी भी है अथवा नहीं’ और वह उनसे कहना चाहते हैं कि अगर देशभक्ति नहीं होती तो स्वतंत्रता नहीं मिलती।
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रवाद के खिलाफ दुष्प्रचार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं माना जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘देशभक्ति को बनाए रखने के लिए पूरे देश को एकजुट होना चाहिए। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया।’ शाह ने युवकों से अपील की कि वह देश का इतिहास पढ़ें और समझें कि इसके लिए कितने लोगों ने कुर्बानियां दीं।
शाह ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, युवकों को उनके राह पर चलने की प्रेरणा दी जा रही है और युवकों को स्मरण दिलाया जा रहा है कि लाखों लोगों की कुर्बानी की बदौलत देश को स्वतंत्रता हासिल हुई। उन्होंने कहा, ‘यह युवकों को देश के लिए जीने की प्रेरणा होनी चाहिए। देश के लिए जीना ही इस यात्रा का संदेश था।’ शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी विदेश नीति में संस्कृति के साथ व्यापार पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था सही दिशा में जा रही है।
विश्वविद्यालय परिसर में शाह के कार्यक्रम के खिलाफ छात्रों ने प्रदर्शन किया
कॉलेज छात्रों के एक संगठन ने मेंगलुरू विश्वविद्यालय के प्रशासन पर आरोप लगाया कि परिसर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के ‘राजनीतिक कार्यक्रम’ के लिए भाड़े पर ऑडिटोरियम दिया गया। संगठन ने कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री बासवराज रायारड्डी को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। पुम्पवेल में शाह ने ‘तिरंगा यात्रा’ को हरी झंडी दिखाई थी जो आज यहां परिसर में खत्म हुई जहां ‘बलिदान स्मरणे ’ का आयोजन किया गया। ऑल कॉलेज स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनकर शेट्टी ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय ने ‘राजनीतिक कार्यक्रम’ आयोजित करने के लिए अनुमति दे दी है जबकि परिसर में इस तरह के कार्यक्रम को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि अगर यह प्रधानमंत्री का कार्यक्रम होता तो विश्वविद्यालय अनुमति दे सकता था। इस बीच भाजपा के सांसद नलिन कुमार कटील ने कहा कि कार्यक्रम गैर राजनीतिक है और कार्यक्रम में कोई भी ध्वज या भाजपा के प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल नहीं किया गया और इसमें रानी अब्बक्का तथा अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद किया गया । रानी अब्बक्का उल्लाल की रानी थीं और 16वीं सदी में उन्होंने पुर्तगालियों से युद्ध किया था।