गृह मंत्री अमित शाह के 8 महीने के अबतक के कार्यकाल में दिल्ली पुलिस की चार बार किरकरी हो चुकी है। जनवरी के महीने में तीन बार दिल्ली पुलिस के रवैये और कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए हैं। जामिया इलाके में गुरुवार को हुई फायरिंग में जिस तरह पुलिस ‘मूकदर्शक’ बनकर खड़ी रही उसपर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। वहीं दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया है कि अमित शाह ने दिल्ली पुलिस के हाथ बांध दिए हैं। जामिया में खुलेआम फायरिंग करने वाला एक नाबालिग है। फायरिंग में कश्मीर का रहने वाला शादाब घायल हुआ है।
जामिया में हुई इस घटना से पहले दिल्ली पुलिस पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में बीते 5 जनवरी को कुछ नाकाबपोश ने छात्रों पर हमला कर दिया था। इसमें छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष बुरी तरह से घायल हुई थी। वहीं कुछ फैकल्टी मेंबर्स भी घायल हुए। करीब 50 नाकाबपोशों ने जहां जो दिखा उसको नुकसान पहुंचाया। आईशी ने इस घटना पर दिल्ली पुलिस की मिलीभगत और एबीवीपी को जिम्मेदार ठहराया था।
वहीं दूसरा मामला 15 दिसंबर को जामिय इलाके में हिंसा की घटना पर भी दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े हुए। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में कुछ शरारती तत्वों ने इस संबंध में जमकर उत्पता मचाया। इस कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान बसों समेत कई वाहनों को आग लगा दी गई थी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था। फायरिंग भी की गई। वहीं इस हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के परिसर में दाखिल हुई और उसने बल प्रयोग किया। पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर तोड़-फोड़ की और कैंपस में छात्रों का पीटा। पुलिस की इस कार्रवाई पर विपक्ष ने कई सवाल खड़े किए और सरकार की काफी आलोचना भी हुई।
चौथा मामला बीते साल नवंबर के महीने में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों की भिडंत का है। मालूमी सी बात पर पुलिस और वकीलों के बीच बहस इतनी बढ़ गई कोर्ट परिसर के आस-पास वकीलों ने आगजनी कर दी। वकीलों पर काबू पाने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी थी जिसमें दो वकील घायल भी हुए। दरअसल विवाद की जड़ गाड़ी पार्किंग थी। वकीलों ने आरोप लगाया था कि भिडंत के दौरान पुलिस की एक गोली एक वकील के सीने में जाकर लगी। इस भिडंत के बाद पुलिस और वकील एक दूसरे के एंटी हो गए थे और कड़कड़डूमा कोर्ट, दिल्ली के साकेत कोर्ट में भी वकीलों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया। इस घटना को लेकर भी दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े हुए।