भारतीय जनता पार्टी आज अपने स्वर्णिम दौर से गुजर रही है और देश के 21 राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार है। बता दें कि देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस भी अपने स्वर्णिम काल में 18 राज्यों में ही सरकार बना पायी थी। ऐसे में भाजपा का इतने कम समय में इतनी बड़ी सफलता हासिल करना वाकई तारीफ के लायक है। भाजपा की इस सफलता का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माना जाता है, लेकिन पर्दे के पीछे से इस सफलता में बहुत बड़ा योगदान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का भी है। खुद पीएम मोदी, अमित शाह के मुरीद हैं और कई बार उन्हें पार्टी की जीत का श्रेय दे चुके हैं। हालांकि अमित शाह अभी भी नहीं मानते कि भाजपा अपने स्वर्णिम काल में पहुंच चुकी हैं। उनका कहना है कि जब कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भगवा लहराएगा, उस दिन भाजपा का स्वर्णिम काल होगा। बता दें कि सोमवार को अमित शाह अपना 54वां जन्मदिन मना रहे हैं। एक प्रशिक्षित शेयर ब्रोकर रहे अमित शाह, एक उच्च गुजराती परिवार से आते हैं। 14 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़ने वाले अमित शाह काफी धार्मिक प्रृवत्ति के हैं और ये बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि उनके कई दोस्त मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। हिंदुत्व और आरएसएस के विचारों के साथ-साथ विकास के पैरोकार अमित शाह बदलाव में यकीन रखते हैं। यही वजह है कि अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा की नजरें उन राज्यों पर भी हैं, जहां कभी भाजपा की सरकारें नहीं बन पायीं। उत्तर पूर्वी राज्यों में बनी भाजपा की सरकारें अमित शाह की इसी रणनीति का हिस्सा है।

सोशल इंजीनियरिंग के दिग्गजः अमित शाह सोशल इंजीनियरिंग के बड़े जानकार माने जाते हैं। जिस तरह से अमित शाह ने इसी सोशल इंजीनियरिंग का गुणा भाग कर जनमत को अपने पक्ष में मोड़ा है, उससे विपक्षी भी उनके मुरीद हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटें कब्जाकर मुलायम सिंह यादव जैसे जमीन से जुड़े नेता को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।

भारतीय सभ्यता के मुरीद: अमित शाह की पहचान एक कुशल रणनीतिकार के रुप में की जाती है और आज उनका कद इतना बढ़ चुका है कि भाजपा में पीएम मोदी के बाद उन्हीं का नंबर आता है। अमित शाह कांग्रेस पार्टी के आलोचक हैं और उनके भाषणों में कांग्रेस के प्रति तल्खी साफ नजर आती है। दरअसल अमित शाह का मानना है कि आजादी के बाद कांग्रेस ने नए भारत के निर्माण में भारतीय सभ्यता को नजरअंदाज कर देश की नींव पश्चिमी सभ्यता को आधार बनाकर रखी! वहीं भाजपा का विश्वास है कि पुरानी भारतीय सभ्यता श्रेष्ठ है और नए भारत का निर्माण उसी सभ्यता के आधार पर किया जाना चाहिए। एक मीटिंग के दौरान अमित शाह ने कहा भी था कि कांग्रेस की नीतियों में देश की संस्कृति…देश की मिट्टी और उसकी सुगंध की कमी है।

मजबूत संगठन के पैरोकारः अमित शाह अपनी संगठनात्मक काबलियत के कारण भी तारीफ के हकदार हैं। अमित शाह की इसी काबलियत का असर है कि भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिसके 10 करोड़ से भी ज्यादा कार्यकर्ता हैं। पार्टी की जीत में अमित शाह संगठन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं। यही वजह है कि वह चुनावों से पहले ही संगठन को मजबूत करने में जुट जाते हैं और लगातार यात्राएं कर कार्यकर्ताओं के संपर्क में बने रहते हैं। कहा जाता है कि जिस राज्य में चुनाव होता है, उस राज्य के भाजपा कार्यकर्ताओं के मोबाइल में अमित शाह का नंबर आसानी से पाया जा सकता है। अमित शाह की यही संगठनात्मक ताकत है कि भाजपा एक के बाद एक राज्य में अपनी सरकार बना रही है।

साल 2019 का लोकसभा चुनाव अमित शाह के लिए कड़ी परीक्षा साबित होगा। जिस तरह से महागठबंधन की बातें सामने आ रही हैं। उसके बाद से 2019 के लिए भाजपा की राह चुनौतीपूर्ण हो गई है। यह बात अमित शाह भी समझते हैं और भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने के लिए कड़ी मेहनत में जुटे हैं। एक खबर में बताया गया है कि भाजपा अध्यक्ष चुने जाने के बाद से वह 6 लाख किलोमीटर की यात्रा कर संगठन को मजबूती देने का काम कर रहे हैं। एक बार फिर अमित शाह को जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां।