केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उपराष्ट्रपति के चुनाव में विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी पर नक्सलवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
कोच्चि में एक कार्यक्रम में शाह ने कहा, “केरल में कांग्रेस के जीतने की जो बची-खुची संभावनाएं थी, वह खत्म हो चुकी हैं क्योंकि विपक्ष के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी वही हैं जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद को, नक्सलवाद को मदद करने के लिए सलवा जुडूम का फैसला दिया था और अगर सलवा जुडूम का फैसला नहीं हुआ होता तो वामपंथी उग्रवाद 2020 तक समाप्त हो गया होता।”
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केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, “यह वही सज्जन हैं जिन्होंने विचारधारा से प्रेरित होकर सलवा जुडूम का फैसला दिया। केरल ने नक्सलवाद का दंश झेला है, उग्रवाद को भी सहन किया है, केरल की जनता इस बात को जरूर देखेगी कि कैसे वामपंथियों के दबाव में आकर कांग्रेस ने ऐसे उम्मीदवार को चुना है जिसने सुप्रीम कोर्ट जैसे मंच का इस्तेमाल वामपंथी उग्रवाद और नक्सलवाद का समर्थन करने के लिए किया।”
अदालत ने क्या कहा था फैसले में?
2011 में जस्टिस सुदर्शन रेड्डी और जस्टिस एस. एस. निज्जर की बेंच ने सलवा जुडूम नाम के संगठन को भंग कर दिया था। इस संगठन में छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवादी विद्रोह का मुकाबला करने के लिए आदिवासी युवाओं को विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) के रूप में नियुक्त किया था। अदालत ने फैसले में कहा था कि यह मिलिशिया संगठन अवैध और असंवैधानिक है।
उपराष्ट्रपति के चुनाव में जस्टिस रेड्डी और एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन के बीच सीधी टक्कर है। उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान 9 सितंबर को होगा और उसी दिन मतगणना की जाएगी। उपराष्ट्रपति का चुनाव जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को अचानक इस्तीफा देने की वजह से कराया जा रहा है।
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