स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के सभी AIIMS को नया नाम देने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके मुताबिक अब इन्हें लोकल हीरोज, स्वतंत्रता सेनानियों, ऐतिहासिक घटनाओं या फिर प्रसिद्ध जगहों का नाम दिया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि इस तरह की कवायद के बाद AIIMS को लोकल पहचान मिलेगी।

AIIMS की फैकल्टी एसोसिशन ने स्वास्थ मंत्री मनसुख मांडविया को लिखी चिट्ठी में कहा है कि ये प्रस्ताव ठीक नहीं है। इससे तो संस्थान की पहचान ही खत्म हो जाएगी। ध्यान रहे कि फैकल्टी एसोसिशन ने हाल ही में अपने सदस्यों से राय मांगी थी कि 23 AIIMS के नाम परिवर्तन के प्रस्ताव पर उनका क्या कहना है। सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर इसे गलत मानते हैं। उनका कहना है कि इससे संस्थान की पहचान ही खत्म हो जाएगी।


फैकल्टी एसोसिशन ने अपनी चिट्ठी में कहा कि दिल्ली AIIMS की स्थापना 1965 में की गई थी। इसका ध्येय बेहतरीन मेडिकल शिक्षा, रिसर्च के साथ मरीजों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का था। ये सभी सुविधाएं नाम से सीधे तौर पर जुड़ी हैं।

ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और हारवर्ड विवि का जिक्र करते हुए चिट्ठी में कहा गया है कि सभी सुप्रसिद्ध संस्थानों का सदियों से एक ही नाम रखा गया है, क्योंकि ये ही इनकी पहचान का प्रतीक है।

एसोसिएशन का कहना है कि प्रस्ताव को माना गया तो इस विख्यात संस्थान की अपनी पहचान ही खत्म हो जाएगी। चिट्ठी में मोदी सरकार से दरखास्त की गई है कि नाम परिवर्तन न किया जाए। एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री से मिलने का समय भी मांगा है जिससे संस्थान की जरूरतों पर मंथन किया जा सके।

चिट्ठी में कहा गया है कि AIIMS की स्वायत्ता, इन कैंपस एकमोडेशन और हेड शिप में बदलाव के कई मसले अरसे से लंबित हैं। सरकार को इन पर तत्काल प्रभाव से ध्यान देने की जरूरत है।