चीन के साथ लद्दाख से लगी सीमा पर पिछले करीब दो महीने से जारी तनाव के बीच अब भारत ने अमेरिका से हथियार खरीदने का फैसला किया है। भारत सरकार ने सेना के लिए अमेरिका को 72 हजार SIG-716 असॉल्ट राइफल का ऑर्डर दिया है। गौरतलब है कि भारत इससे पहले ही 72 हजार असॉल्ट राइफल का ऑर्डर अमेरिका को दे चुका है। इन राइफलों की डिलीवरी पूरी होने के बाद और 72 हजार राइफलों का ऑर्डर दिया जाएगा। यानी कुल मिलाकर भारत में यह अमेरिकी राइफलों का दूसरा बैच होगा।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, यह असॉल्ट राइफल उत्तरी कमांड और अन्य ऑपरेशनल एरिया में मौजूद सेना के जवानों को दी जाएंगी। बता दें कि हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत से थलसेना, वायुसेना और नौसेना की जरूरतें पता कर उन्हें आपात स्थिति में पूरा करने के आदेश दिए थे। रक्षा मंत्रालय ने चीन से तनाव के बीच अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने का फैसला किया है।
बता दें कि भारत ने फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) कार्यक्रम के जरिए बेहद कम समय में ही राइफल का दूसरा बैच भी मंगाया है। ये नई अमेरिकी राइफल भारत की स्माल आर्म्स सिस्टम के तहत बनीं इंसास राइफल्स की जगह लेंगी। रक्षा मंत्रालय की योजना के तहत आतंकरोधी ऑपरेशन और एलओसी पर तैनात सैन्यबलों के लिए 1.5 लाख राइफल आयात की जानी हैं। इसके अलावा बाकी सुरक्षाबलों को रूस की एके-203 राइफल दी जाएंगी, जिनका निर्माण फिलहाल अमेठी स्थित ऑर्डनेंस फैक्ट्री में चल रहा है।
भारत की INSAS राइफल से बेहतर हैं अमेरिकी राइफल: अमेरिका की SIG 716 असॉल्ट राइफल लंबी दूरी और करीब के टारगेट को आसानी से भेद लेती हैं। ये आधुनिक तकनीक से भी लैस हैं। सेना अभी जिन राइफल्स का इस्तेमाल करती है, उनमें मैगजीन टूटने की कई शिकायतें आई हैं। नई राइफलों में ऐसी कोई समस्या नहीं है। इंसास राइफलों से 5.56×45 मिमी कारतूस इस्तेमाल होते हैं, जबकि एसआईजी 716 राइफल में ज्यादा ताकतवर 7.62×51 मिमी कारतूस का इस्तेमाल होता है। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में इजराइल से 16 हजार लाइट मशीन गन (एलएमजी) खरीदने का ऑर्डर दिया है।