सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत दिसंबर 2022 तक एक नया प्रधानमंत्री आवास बनाया जाना है। देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच इस काम के लिए इनवायरमेंट क्लियरेंस मिल गई है। मालूम हो कि कोरोना महामारी के चलते देश में अधिकांश गतिविधियों पर प्रतिबंधित है, ऐसे में ये क्लियरेंस दी गई है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, को सरकार की ओर से “आवश्यक सेवा” बताया गया है। जिससे कि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान भी इस प्रोजेक्ट का काम बंद न हो। सरकार की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद आगे इस प्रोजेक्ट की दिशा में काम किया जाएगा। विपक्षी दलों और कई एक्टिविस्ट द्वारा कड़ी आपत्तियों के बावजूद, सरकार सख्त समय रेखा के तहत इस मेकओवर प्रोजेक्ट को आगे ले जाना चाहती है।

अगले साल दिसंबर तक बनने वाली इमारतों में प्रधानमंत्री आवास, पीएम की सुरक्षा के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का मुख्यालय और नौकरशाहों के लिए एक कार्यकारी एन्क्लेव शामिल है। वर्तमान में पीएम का आधिकारिक आवास 7, लोक कल्याण मार्ग है। वहीं, उपराष्ट्रपति का आवास अगले साल मई तक पूरा होने की उम्मीद है।

नई इमारतों के लिए अनुमानित लागत 13,450 करोड़ रुपए है और इस योजना से लगभग 46,000 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। विपक्षी दलों ने सेंट्रल विस्टा योजना के तहत नए संसद भवन, सरकारी कार्यालयों और पीएम के आवास के निर्माण को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की है।

सोशल मीडिया पर भी, कई लोगों ने कोविड इमरजेंसी के बीच इस खर्च को लेकर सवाल खड़े किए हैं। मालूम हो कि सरकार की ओर से इस खर्च की बात ऐसे वक्त में की जा रही है जब अस्पतालों में ऑक्सीजन, टीके, दवाइयों और बेड जैसे संसाधनों का संकट पैदा हो गया है।

दरअसल सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक चार किलोमीटर के हिस्से में सरकारी भवनों के निर्माण और नवीनीकरण की योजना को 2024 के आम चुनावों से पहले पूरा किया जाना है। मामले पर पिछले हफ्ते कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “सेंट्रल विस्टा- जरूरी नहीं। सेंट्रल गवर्नमेंट विद ए विजन- जरूरी है।”

वहीं, सरकार ने इस परियोजना का बचाव करते हुए कहा कि वर्तमान इमारतें जर्जर होने की स्थिति में हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए परियोजना को रोकने से इनकार कर दिया कि उसने पर्यावरण या भूमि-उपयोग के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। लेकिन तीन में से एक जज इस पर सार्वजनिक परामर्श की कमी से चिंतित थे।