चीन से भारत आने वाले कंसाइनमेंट अब मुंबई और चेन्नई के बंदरगाहों में देरी से क्लियरेंस पा रहे हैं। रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि दोनों ही बंदरगाहों पर भारतीय कस्टम अधिकारी चीनी सामान की गहन जांच कर रहे हैं। इसके चलते ही आयातित सामानों को मंजूरी मिलने में समय लग रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्लियरेंस में परेशानी 15 दिन पहले ही शुरू हुई है। हालांकि, मामले की जानकारी रखने वाले तीन अधिकारियों का कहना है कि इस बारे में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स की ओर से ऐसा कोई लिखित या मौखिक आदेश नहीं दिया गया है।

बताया गया है कि कस्टम अधिकारी आयातकों को पहले ही क्लियरेंस में हो रही देरी के बारे में इशारा कर चुके हैं। चेन्नई के एक आयातक का कहना है कि कस्टम अधिकारियों ने सलाह दी है कि चीन से आने वाले कंटेनरों को डिलीवर न किया जाए भले ही उसे आउट ऑफ चार्ज क्लियरेंस ऑर्डर जारी कर दिया गया हो।

दरअसल, कस्टम की तरफ से क्लियरेंस के लिए कुछ आयातित वस्तुओं को कुछ मानकों से गुजरना पड़ता है। इसके बाद कोई गड़बड़ी न पाए जाने पर उनके लिए आउट ऑफ चार्ज क्लियरेंस जारी किया जाता है। इसके जरिए दूसरे देशों से आया सामान कस्टम्स द्वारा पास हो जाता है। हालांकि, मुंबई आधारित एक उद्योग से जुड़े सूत्र का कहना है कि चीनी कंसाइनमेंट के लिए क्लियरेंस नहीं जारी किया जा रहा।

चीन के कुछ सामान को क्लियर करने में तो काफी समय लगाया जा रहा है। बंदरगाहों में सामान को Essential (अति आवश्यक) और Non-essential (गैर-जरूरी) के तौर पर मार्क किया जा रहा है और जो सामान अतिआवश्यक के वर्ग में नहीं हैं, उन्हें कुछ दिन बाद क्लियरेंस में दिया जा रहा है। यानी क्लियरेंस हर कंसाइनमेंट को मिल रही है, लेकिन जरूरी और गैर-जरूरी सामान के आधार पर।