अखिलेश यादव के राज में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सामूहिक विकास योजनाओं के सरकारी धन से अमेठी के ग्राम प्रधान और विकास से जुड़े अफसर मालामाल हो गए हैं। जबकि ग्राम पंचायतों की छोटी सरकार के पास विकास के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है। इससे ग्राम पंचायतों में मूलभूत सुविधाओं के लिए अकाल पड़ा है।
मनरेगा ने ग्राम पंचायतों के लिए सरकारी खजाने का दरवाजा खुला छोड़ रखा है। इसके बाद राज्यवृत्ति आयोग और तेरहवां वृत्त आयोग में अरबों का बजट आ चुका है। लेकिन पांच साल में विकास दिखाई नहीं पड़ा है। पुराने ग्राम प्रधानों ने जाने के पहले ग्राम पंचायतों की संपूर्ण धनराशि निकालकर पाकेट में डाल लिया है। ताकि आने वाले ग्राम प्रधान के पास एक रुपया भी न बचे। मनरेगा में पिछले पांच सालों से लूट मची है। इस मद की धनराशि में केवल कागज पर काम होता है। बाकी रोजगार और विकास के नाम पर सबकुछ झूठा है। मनरेगा की राशि से रोजगार और विकास के नाम पर चार महीने पहले फर्जी तरीके से 27 करोड रुपए हड़प लिए गए हैं। इस मामले की जांच की पत्रावली गायब हो चुकी है। ग्राम प्रधानों ने जाने से पहले राज्यवृत्ति से सात करोड़ रुपए बिना कार्ययोजना के हड़प लिए हैं। पुराने ग्राम प्रधानों ने पुरानी चेक से राज्यवृत के खाते से करीब सात करोड़ रुपए बैंकों से निकाल लिए हैं। इससे विकास विभाग के सभी अफसर बुरे फंस गए हैं। चूंकि ग्राम पंचायतों के खाते से धन का आहरण करने वाले ग्राम प्रधान पहले ही कायर्मुक्त हो चुके थे। लेकिन जाने से पहले उन्होंने सरकारी खजाने का धन हड़प लिया।
अमेठी के जिलाधिकारी जगतराज त्रिपाठी ने कहा कि सभी पुराने ग्राम प्रधानों और ग्राम विकास अधिकारियों के खिलाफ सरकारी धन के गबन और धोखाधड़ी के मुकदमे पंजीकृत कराने का आदेश दिया गया है। अमेठी के 586 ग्राम प्रधान सात नवंबर को कायर्मुक्त हो चुके हैं। अब ग्राम पंचायतें प्रशासक के हवाले हैं। मगर पुराने ग्राम प्रधान कायर्मुक्त होने के बाद राज्यवृत के खाते से करीब सात करोड़ रुपए फर्जी तरीके से निकाल चुके हैं। इससे नई चुनी जाने वाली जिससे ग्राम पंचायतें अब पाई-पाई की मोहताज होंगी।
ग्राम पंचायतों में विकास के लिए एक खाता राज्यवृत का होता है। राज्यवृत के खाते में 70 फीसद धन राज्य सरकार का और 30 फीसद का धन केंद्र सरकार का आता है। ग्राम पंचायतें राज्यवृत के खाते से पहले मरम्मत का काम कराती हैं। इसके बाद निर्माण का काम करती है। ग्राम पंचायतों में मरम्मत के नाम पर इंडिया मार्का टू हैंडपंप, नाली, सोलर लाइट आदि के काम राज्यवृत के खाते से कराए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले तीन महीने से आचार संहिता लागू है। लेकिन विकास के नाम पर सरकारी धन धड़ाधड़ निकल रहे हैं। निर्वाचन आयुक्त की अधिसूचना के बाद से विकास कार्य बंद हो जाते हैं। लेकिन अमेठी में विकास के नाम पर सरकारी धन का आहरण बहुत तेजी से किया गया है।
जिला पंचायत राज अधिकारी आरबी सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों के राज्यवृत के खाते में सरकारी धन भेजा था। लेकिन इस धन की निकासी पर जिलाधिकारी जगतराज त्रिपाठी ने सामूहिक रोक लगा दी थी। लेकिन ग्राम प्रधानों ने आचार संहिता के दौरान सरकारी धन निकाल कर बड़ी हेराफेरी की है। उन्होंने कहा कि जिससे सरकारी धन का आहरण करने वाले जेल भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी ग्राम प्रधान कार्यमुक्त हो चुके थे। इसके बाद सरकारी धन का आहरण किया। इसके बाद ग्राम पंचायतों में कार्ययोजना नहीं बनी थी और आइडी जनरेट नहीं की थी। इसलिए सरकारी धन निजी तौर पर इस्तेमाल किया गया। भ्रष्टाचार के इस खेल में ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम प्रधान दोनों बराबर के दोषी हैं। ग्राम पंचायतों का सरकारी धन ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम प्रधान के सामूहिक हस्ताक्षर से निकलता है। इसलिए धोखाधड़ी के मुकदमे दोनों पर दर्ज होंगे। अमेठी जिले के 586 ग्राम पंचायतों में धन निकाल लिया गया है।
अमेठी के खण्ड विकास अधिकारी रामआशीष ने कहा कि बैंकों से सूची मांगी गई है। इसके बाद जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। जबकि जिलाधिकारी ने कहा कि ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार का मामला गंभीर है। सभी बड़े अधिकारियों को जांच के काम में लगाया गया है। रिपोर्ट आने के बाद मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। उसके बाद गबन के पैसे की रिकवरी कराई जाएगी।