बंबई हाईकोर्ट ने 2012 में जन्म देने वाली मां द्वारा छोड़े गए दो नाबालिगों को एक अमेरिकी दंपति द्वारा गोद लिए जाने का रास्ता साफ कर दिया है। बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया 2013 से रुकी हुई है। तब बच्चों को जन्म देने वाली मां ने शुरू में उन्हें त्याग दिया था लेकिन जब बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने बच्चों को भारतीय मूल के एक कनाडाई दंपति द्वारा गोद लिए जाने की प्रक्रिया शुरू की तो मां ने बच्चों को अपनी हिफाजत में लेने की मांग उठा दी।

2014 में हाईकोर्ट ने गोद लेने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और जन्म देने वाली मां को उसके बच्चों को ले जाने की अनुमति दे दी थी। लेकिन तब मां ने ऐसा नहीं किया और हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनसे मिली तक नहीं, तो सीडब्ल्यूसी ने एक बार फिर हाईकोर्ट का रुख किया और अमेरिका में रहने वाले एक और दंपति को गोद देने की अनुमति दिए जाने की मांग की।

न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने 27 अप्रैल को मामले के तथ्यों का अध्ययन करने और नाबालिग बच्चों से बातचीत करने के बाद अमेरिकी दंपति को उन्हें गोद लेने की अनुमति दे दी। बच्चों में नौ साल का एक लड़का और सात साल की एक लड़की है। अदालत ने कहा, ‘मेरे सामने आज जो स्थिति है उसे मैं केवल हृदयविदारक कह सकता हूं। दो नाबालिग बच्चे हैं जो अपने बेहतर बचपन के समय में उन्हें जन्म देने वाली मां, एक एजंसी, एक और एजंसी के बीच फुटबॉल बन गए हैं।’

न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, ‘ये बच्चे जो पीड़ा झेल रहे होंगे, उसकी कल्पना करना भी कठिन है। उन्हें जन्म के समय नहीं बल्कि पांच और तीन साल की उम्र में छोड़ा गया था, जब कम से कम वे थोड़ा तो समझने लगे होंगे।’ अदालत ने अमेरिकी दंपति की पृष्ठभूमि का अध्ययन करने के बाद कहा कि पति और पत्नी दोनों का एक अच्छा बचपन रहा है और अपनी जिंदगियां अच्छे से जी रहे हैं। दोनों बच्चों की मां ने उन्हें छोड़ दिया था और वे 31 दिसंबर, 2012 को ठाणे के उल्हासनगर में पुलिस को मिले थे। उन्हें बाल कल्याण समिति ले जाया गया था।