आसमान में 13 और 14 दिसंबर को अद्भुत खगोलीय घटना घटने वाली है। आपने टूटे तारों के बारे में तो सुना ही होगा। 13 और 14 दिसंबर को बड़े पैमाने पर हर घंटे 100 से 150 तारे टूटेंगे। उत्तराखंड के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है। इस खगोलीय घटना का नाम जेमिनीड उल्कापात होगा। 24 दिसंबर तक तारों की बारिश होने की संभावना है।

बता दें कि इस खगोलीय घटना को ‘टूटते तारों’ के नाम से भी पहचाना जाता है। हालांकि वास्तविक तारों से इस घटना का कोई सीधा संबंध नहीं है क्योंकि यह आसमान में गुजरते उल्काओं का जलता हुआ मलबा है। लेकिन इन्हें धरती‌ से देखने पर तारे टूटने जैसा एहसास होता‌ है।

उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र यादव ने दावा किया है कि इसी महीने की 13 और 14 तारीख के बीच बड़े पैमाने पर तारों की बारिश होने वाली है। उन्होंने कहा कि आसमान में हर घंटे 100 से 150 तारे टूटेंगे। डॉ. वीरेंद्र यादव ने कहा कि ये घटना 24 दिसंबर तक होगी। वीरेंद्र यादव ने कहा उल्कापात का नाम उस तारामंडल या नक्षत्र के नाम पर रखा जाता है, जहां से यह आता है। इसी आधार पर जेमिनीड उल्कापात का नाम मिथुन राशि यानि जेमिनी तारामंडल के नाम पर रखा गया है।

वैज्ञानिकों ने बताया है कि जब धूमकेतु का मलबा पृथ्वी के रास्ते में आता है तो वह जलने लगता है। इससे आसमान में आतिशबाजी जैसा नजारा देखने को मिलता है। यह पृथ्वी से महज 100 से 120 किमी की ऊंचाई पर होती है। टूटते तारों का यह नज़ारा कुछ देर में लिए होता है।

Chandrayaan-3 के रॉकेट का हिस्‍सा प्रशांत महासागर में गिरा

चंद्रयान-3 को धरती से 36 हजार किलोमीटर दूर भेजने वाला हिस्‍सा अब जाकर वापस लौटा है। चंद्रयान -3 को 14 जुलाई 2023 को धरती से 36 हजार किलोमीटर दूर एक लांचर में भेजा गया था, वह अब नीचे आकर गिर गया है। लांचर का एक हिस्‍सा धरती के वातावरण में घुसा और अमेरिका के पास उत्‍तरी प्रशांत महासागर में गिर गया। इसे किसी भी तरह से कंट्रोल नहीं किया जा सका। यह LVM-3M4 राकेट का क्रायोजेनिक पार्ट था। नासा के वैज्ञानिकों ने इसे लोकेट किया और महासगर में उस जगह को भी लोकेट किया, जहां यह गिरा।