राज्यसभा सांसद और समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह का 64 साल की उम्र में निधन हो गया है। सिंगापुर में वो किडनी का इलाज करा रहे थे लेकिन बच नहीं पाए। सिनेमा से लेकर सियासी जगत तक अमर सिंह ने अपनी छाप छोड़ी है। उन्हें मुलायम सिंह यादव का खासम-खास माना जाता रहा है।
एचडी देवगौड़ा और आई के गुजराल सरकार में जब मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री थे, तब अपने पैतृक गांव सैफई की यात्रा पर अधिक खर्च करने पर मुश्किलों में फंसे थे, तब अमर सिंह ने ही तब के बीजेपी नेता और मशहूर वकील अरुण जेटली से मुलाकात की थी और कानूनी सलाह ली थी। तब जेटली ने सलाह दी थी कि मुलायम को यह मामला बनाना चाहिए कि उनके गांव और आसपास कई पूर्व सैनिक रहते हैं, इसलिए उनसे मिलने की ड्यूटी का निर्वहन किया।
मुलायम सिंह यादव से मिलवाने के लिए साल 2000 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को अमर सिंह लखनऊ लेकर गए थे। तब उनकी पहुंच का अंदाजा लगा पाना लोगों के लिए मुश्किल हुआ था। एक क्रिकेट डील के लिए उन्होंने आस्ट्रेलियाई स्पोर्ट्स टीवी के मशहूर एंटरटेनर कैरी पैकर को भी दिल्ली बुला लिया था। बाद में सिंह का सियासी पतन उनकी ऊंची महत्वाकांक्षा और कई अच्छे दोस्तों के बीच कड़वाहट पैदा होने से हुई, जबकि अमर सिंह खुद काफी खुशमिजाज इंसान थे। वो अक्सर शेयरो-शायरी में जवाब दिया करते थे।
अमर सिंह की पहुंच सभी राजनीतिक दलों के नेताओं तक थी। सभी पार्टियों में उनके कई अच्छे मित्र थे। अगर कोई राजनेता था जो उनपर हमेशा संदेह करता था तो वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं। एक बार उन्होंने 10 जनपथ के बरामदे में अमर सिंह को इंतजार करवाया था क्योंकि यूपीए के दूसरे नेता उस वक्त एक अन्य कमरे में बैठे थे।
अमर सिंह खुद को ‘यूपी का ठाकुर’ कहे जाने पर गर्व महसूस करते थे। वो आजमगढ़ से थे लेकिन कोलकाता में वो पले-बढ़े। उनके पिता वहां तालों के व्यापारी थे। कानून की डिग्री लेने के बाद उन्होंने युवा कांग्रेस ज्वाइन की थी और दिल्ली आ गए थे। दिल्ली में आकर वो यूपी के तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह के करीब आ गए थे। वो भी यूपी के ठाकुर थे। बाद में उनकी नजदीकी रिश्ते को देखते हुए यूपी की एक केमिकल कंपनी ने अमर सिंह को नौकरी दे दी थी। दिल्ली में ही उन्होंने माधव राव सिंधिया को अपना दोस्त बनाया था।
