आतंकी इस्लामिक स्टेट (आईएस) के एक 25 वर्षीय कथित जिहादी ने पिछले महीने खुफिया एजेंसियों को बताया कि उसे एक गैर-मुस्लिम का सिर काटकर और उसकी साथी का रेप करके दोनों घटनाओं का वीडियो बनाकर बांग्लादेश स्थित हैंडलर को भेजने के लिए कहा गया था। पश्चिम बंगाल के इस व्यक्ति ने जांचकर्ताओं से कहा कि सिर काटने का वीडियो बांग्लादेश से इस्लामिक स्टेट के पास सीरिया भेजा जाने वाला था ताकि उसे इंटरनेट पर रिलीज किया जा सके। इस वीडियो के साथ ही आईएस भारत में “खिलाफत” (खलीफा का शासन) की आधिकारिक घोषणा करता। आईएस समर्थकों ने पिछले कुछ सालों में इंटरनेट पर ऐसे कई वीडियो जारी किए हैं जिनमें कथित तौर पर कुछ भारतीयों को आईएस के प्रति वफादारी की घोषणा करते हुए दिखाया गया. इन वीडियो में भारतीय मुस्लिमों से आईएस से जुड़ने की अपील भी की गई लेकिन उनमें से एक भी वीडियो भारत में नहीं बनाया गया था। इन वीडियो में किसी तरह की हिंसा होते नहीं दिखाई गई जबकि कैमरे के सामने हत्या करने इत्यादि के वीडियो आईएस जारी करता रहा है।

हाल ही बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए आतंकी हमले में हमलावरों ने घटनास्थल की तस्वीरों ली थीं और वीडियो भी बनाया था, जिन्हें बाद में आईएस की प्रचार शाखा अमाक़ एजेंसी ने इंटरनेट पर जारी किया था। बांग्लादेश में हुए पिछले कुछ हमलों की तरह पश्चिम बंगाल में गिरफ्तार शख्स से भी चाकू से अकेले ही आम लोगों पर हमला करने के लिए कहा गया था। छह जुलाई को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) और आईबी के सुराग पर पश्चिम बंगाल पुलिस ने राज्य के बीरभूम जिले के मसीउद्दीन उर्फ अबु अल-मूसा को बर्दवान रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। राज्य पुलिस, आईबी और एनआईए द्वारा की गई पूछताछ में मूसा ने भारत में सिर काटने के वीडियो के साथ आईएस की मौजूदगी की आधिकारिक घोषणा की योजना के बारे में बताया।

मूसा ने जांचकर्ताओं को अपने हैंडलर की पहचान पहले जिहादी जॉन बताई. अरब मूल का ब्रितानी नागरिक जिहादी जॉन आईएस के कई क्रूर वीडियो में देखा गया था। लेकिन बाद की पड़ताल में पता चला कि उसका हैंडलर जमात-उल-मुजाहिद्दीन, बांग्लादेश (जेएमबी) का मोहम्मद सुलेमान था। सुलेमान ने मूसा से किसी गैर-मुस्लिम को चुनकर उसका सिर काटने और उसका वीडियो बनाने के लिए कहा था। मूसा ने अपने शिकार के तौर पर एक कारोबारी को चुना था जो उसके गांव लाभपुर के बाहर एक फॉर्महाउस में रहता था। मूसा इस कारोबारी के बोरवेल पर ठेके पर काम कर चुका था। मूसा ने जांचकर्ताओं से कहा, “मुझे पता था कि उसके घर में 5-6 लाख रुपये होंगे, जिसे मैं आगे आईएस को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल कर सकता था।” मूसा को कारोबारी के साथ रहने वाली महिला का रेप भी करना था और उसका भी वीडियो बनाना था। अपना मक़सद पूरा करने के लिए मूसा ने कथित तौर पर शेख अब्बासुद्दीन उर्फ अमीन और सद्दाम हुसैन उर्फ शेख कालू को नियुक्त किया। इन दोनों व्यक्तिों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।

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जांचकर्ताओं के अनुसार मूसा एक गरीब परिवार से आता है और अपने पांच भाई-बहनों में वो अकेला स्कूल जा सका था। उसने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी की थी लेकिन बीवी को छोड़कर वो कोलकाता चला गया। कोलकाता में वो सांध्यकालीन कॉलेज में पढ़ता था और दिन में काम करता था। एक जांचकर्ता ने कहा, “उसने हमें बताया कि उसे उम्मीद थी कि वो क्लर्क बन जाएगा। ” उसने कुछ समय तक वेटर के रूप में भी नौकरी की। इसी दौरान उसका परिवार बीवी को साथ ले जाने के लिए दबाव बनाने लगा। इसलिए मूसा ने पढ़ाई अधूरी छोड़ दी और 2010 में तमिलनाडु के तिरुपुर चला गया। वहां उसने कुछ समय तक वाचमैन के तौर पर काम किया। उसका बड़ा भाई पहले से ही तिरुपुर में काम करता था।

कुछ दिनों के लिए बीरभूम लौटने के बाद वो वापस तिरुपुर चला गया और एक टेक्सटाइल कंपनी में नौकरी करने लगा। वहां उसकी तनख्वाह छह हजार रुपये थी। जल्द ही मूसा को एक स्मार्टफोन और कम्प्यूटर मिल गया। इंटरनेट सर्फिंग के दौरान उसने इस्लामिक स्टेट इन बांग्लादेश का पेज “लाइक” किया। उसके कुछ दिन बाद देवबंदी इस्लाम के अनुयायी मूसा से जिहादी जॉन ने स्योरस्पॉट मैसेंजर के जरिए संपर्क किया (ये मैसेंजर इन्क्रिप्टेड संदेश भेजता है)। मूसा ने जिहाद जॉन का नाम पहले से सुन रखा था. उसने तुरंत ही उसके संदेश का जवाब दिया। उसके बाद दोनों में इंटरनेट पर बातचीत शुरू हो गई। जांचकर्ताओं के अनुसार खुद को “जिहादी जॉन” बताने वाले बांग्लादेशी सुलेमान ने उसे जिहादी साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित किया. उसने मूसा को कुछ वेबसाइटें भी बताईं जहां ऐसा साहित्य मिलता है। उसने मूसा से आतंकी संगठनों खासकर अल-शबाब (आईएस का सोमालिया स्थित सहयोगी) की वेबसाइटें देखते रहने के लिए कहा। इस समय 2014 में मूसा का युसूफ अल-हिन्दी से संपर्क हुआ। माना जाता है कि युसूफ अल-हिन्दी इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) के सदस्य शफी अरमार का छद्म नाम है, जो अब आईएस में शामिल हो गया है।

साल 2015 तक मूसा अपनी दुकान चलाने की कोशिश कर रहा था, जो उसने नौकरी से निकाले जाने के बाद शुरू की थी। दुकान नहीं चली तो वो उसका सारा सामान बेचकर बीरभूम लौट आया। जांचकर्ताओं के अनुसार उसके पास अब नौकरी नहीं थी लेकिन एक मकसद “मुसलमानों का अंतिम लक्ष्यः खिलाफत की स्थापना” था और जेब में 80 हजार रुपये थे। उसने सीरिया जाने के लिए पासपोर्ट की अर्जी भी दे दी थी। हालांकि जांच में पता चला कि यूसुफ अल-हिन्दी से उसका संपर्क जल्द ही टूट गया।

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पिछले साल मार्च में अपने छोटे भाई की शादी में मूसा “जिहादी जॉन” से मिला जिसने अपनी पहचान जाहिर करते हुए खुद को जेएमबी का मोहम्मद सुलेमान बताया। सुलेमान ने मुसा को बताया कि जेएमबी में आईएस का समर्थन करने को लेकर बंट गया है। उसने मूसा से राशन कार्ड बनवाने में भी मदद मांगी। जांच से पता चला कि उसने मूसा से कहा कि अगर वो सीरिया नहीं जा पाता है तो वो भारत में ही रहकर आईएस के लिए काम करे। सुलेमान के कहने पर मूसा अप्रैल 2016 में दिल्ली आया और फिर तुरंत श्रीनगर चला गया। वो पश्चिम बंगाल से अपने साथ एक छुरा लाया था। जांचकर्ताओं के अनुसार सुलेमान ने मूसा से कहा था कि वो किसी विदेशी सैलानी को खोजे और उसका गला काट दे।

एक जांचकर्ता ने बताया, “वो श्रीनगर में दो महीने रहा। वो कई बार डल झील गया। लेकिन वो किसी को मारने का साहस नहीं जुटा सका। ” आखिरकार वो पश्चिम बंगाल लौट आया और कोलकाता में रहने लगा। वहां भी वह हत्या का अपना मकसद पूरा नहीं कर सका। तब सुलेमान ने उसे कोई आसान शिकार ढूंढने को कहा और उसने उस कारोबारी को चुना जिसके लिए वो कभी काम कर चुका था।

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